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Showing posts from June, 2019

नज़्म ❤🌷🌷

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मुझे  फ़िर  से नया कोई  बहाना  सोचना  होगा .. मेरी अम्मी के हाथों में कुछ एक फोटो नए फिर हैं । उन्हें कैसे  बताऊं ? एक  लड़की है  निराली सी के तस्वीरें हजारों  जिसकी मेरे  फोन  में ही  है । मुझे नफरत है खाला से ;जो हर इतवार की सुब्ह चली आती है घर मेरे ,लिए बच्चों को संग अपने उन्हीं  के पर्स  में  रखी  हुई  होती  है  तस्वीरें ; जो दोपहर तक पहुंचती है मेरी अम्मी के हाथों में। लिये   तस्वीर  हाथों  में बड़ी  बेचैन  होती  हैं अरी शबनम!बता क्या नाम है इसका?कहां की है ? लबों पर खेलती इसके तबस्सुम .. भा गई मुझको अलग रख ले ये फोटो शाम को उसको दिखाऊंगी । अरे तौबा ! ये वाली लाख बेहतर पहले वाली से अदब नज़रों में ही इसकी नज़र आती है न शबनम औ' ये रुखसार की सुर्खी तो जैसे सेब कश्मीरी । हर एक तस्वीर पहले से कुछ  बेहतर ही होती है हर एक तस्वीर के संग मुश्किलें बढ़ती हैं अम्मी की । मैं हैरत में पड़ा  यह सोचने लगता हूं कि अक्सर ये अम्मी ही तो कहती है...

न मिलो तो बेहतर है ।

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''तुम अभी भी कॉलेज आते हो ?'' यकीन मानिए ये #तारीफ_नहीं_थी , ताना था । मैं हॉ करके मुस्कुरा दिया। मुझे मुस्कुराने के लिए होंठो पर काफी ज़ोर देना पड़ा । वो अपनी सहेलियों के साथ मुस्कुराते हुए मुड़ गयी और मैं सोचता रह गया कि आखिर हर बार हर बात इतनी बेतकल्लुफ़ी से कैसे बोल लेती है वो !.......दास्तां के हर हर्फ़ से वाक़िफ़ होने के बावज़ूद । मैंने पलट कर उसकी तरफ  देखा ...वो आगे बढ़ गई थी और मैं पीछे रह गया था  .... काफ़ी पीछे । मैं सोच रहा था कि उसे कुछ और पूछना चाहिए था। मसलन - मेरी जिंदगी में क्या चल रहा है ऐसा कुछ, मेरे एग्जाम्स के बारे में , आगे के प्लांस के बारे में,  उसे पूछना चाहिए था कि मैं कितने बजे तक सो जाता हूं आजकल ...और यह भी कि कविताएं लिखना कम तो नहीं किया ना ?  पर उसने कुछ नहीं पूछा । ठीक वैसे ही जैसे मैंने कुछ नहीं पूछा । कई बार कुछ ना पूछना ही सबसे बड़ा सवाल बन जाता है । और इसी तरह के कई सारे बड़े सवाल मिलकर दुश्वार कर देते हैं हमारी जिंदगी .... हम उलझ जाते हैं सवालों के बनते बिगड़ते जवाबों में  । मेरे पास भी सैकड़ों सवाल थे जिनके जवाब ...