न मिलो तो बेहतर है ।

''तुम अभी भी कॉलेज आते हो ?''
यकीन मानिए ये #तारीफ_नहीं_थी , ताना था ।
मैं हॉ करके मुस्कुरा दिया। मुझे मुस्कुराने के लिए होंठो पर काफी ज़ोर देना पड़ा ।
वो अपनी सहेलियों के साथ मुस्कुराते हुए मुड़ गयी और मैं सोचता रह गया कि आखिर हर बार हर बात इतनी बेतकल्लुफ़ी से कैसे बोल लेती है वो !.......दास्तां के हर हर्फ़ से वाक़िफ़ होने के बावज़ूद ।
मैंने पलट कर उसकी तरफ  देखा ...वो आगे बढ़ गई थी और मैं पीछे रह गया था  .... काफ़ी पीछे ।
मैं सोच रहा था कि उसे कुछ और पूछना चाहिए था। मसलन - मेरी जिंदगी में क्या चल रहा है ऐसा कुछ, मेरे एग्जाम्स के बारे में , आगे के प्लांस के बारे में,  उसे पूछना चाहिए था कि मैं कितने बजे तक सो जाता हूं आजकल ...और यह भी कि कविताएं लिखना कम तो नहीं किया ना ?  पर उसने कुछ नहीं पूछा । ठीक वैसे ही जैसे मैंने कुछ नहीं पूछा ।
कई बार कुछ ना पूछना ही सबसे बड़ा सवाल बन जाता है । और इसी तरह के कई सारे बड़े सवाल मिलकर दुश्वार कर देते हैं हमारी जिंदगी .... हम उलझ जाते हैं सवालों के बनते बिगड़ते जवाबों में  । मेरे पास भी सैकड़ों सवाल थे जिनके जवाब नहीं हो सकते थे और हजारों जवाब भी  थे बिना सवालों वाले।  यकीनन उसके पास भी होंगे ऐसे सवाल-जवाब ; तभी खामोश ही रहे हम दोनों ।
शाम हो चुकी थी .... गर्मियों के दिन हैं सो देर से ढलता है सूरज । उसकी यादें भी चमक रही हैं मेरे दिल के फलक में । मन कह रहा है बार-बार कि एक बार फोन कर ले उसे पर आज दिमाग की  ही सुनूंगा मैं । कॉलेज में सिर्फ 3 साल साथ पढ़कर जिसने उसके बाद के 4 साल भी बता दिए बिना मेरी फिक्र के उसे अब आज फोन करने का क्या मतलब ? जब आज रात को ही छोड़ देना है यह शहर......., एक लंबे वक्त के लिए ।
तुम भले ही किसी से न कहो पर ......अन्वेषा मैं तुम्हे याद तो आउंगा ही ना । ❤❤

#समीक्षित
#शिवम_सागर 9557301043

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