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ग़ज़ल

मेरी  मोहब्बत  तेरी  अदावत को  जीत  लेगी ये ज़िंदगी  देखना  क़यामत  को  जीत  लेगी ये जिसको तुम कुछ भी ना समझते हो, ख़ैर खाओ ! ये  भीड़ इक दिन तेरी सियासत को जीत लेगी नसीब वालों  ! उठाओ परचम , कदम बढ़ाओ तुम्हारी कोशिश दिलों  की चाहत को जीत लेगी सवाल उठता,  सवाल  उठने  की बात ही  है भला शराफ़त भी कैसे जुल्मत को जीत लेगी हमीं  तुम्हारे  क़रीब  आकर  ठहर  गए   हैं  नहीं  पता था,  तू मेरी वहशत को जीत लेगी

#माधव_और_संवेदना

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#समीक्षित #माधव_की_डायरी कुछ लिखने के लिये राइटिंग पैड उठाया जाता है पर लिखा कुछ नहीं जाता। जब आपको भयंकर जुकाम हो _खाँसी हो ... और चारो तरफ सिर्फ #कोरोना की चर्चा ...तब दिमाग़ केवल उसके लक्षणों को खुद में ढूंढता है ,  और कुछ नहीं  । अचानक से जिंदगी छोटी और झूठी लगने लगती है । मौत के बारे में सोच - सोच कर दम तो वैसे ही निकल चुका होता है।  हालांकि ऐसे में भी मैं प्रेम कहानी लिख सकता हूं। पर फिर रुक जाता हूं कि क्या फायदा । क्या कहानी पूरी कर पाऊंगा ? क्या वास्तव में इतने दिन है मेरे पास ? .... या फिर क्या इतने दिन है किसी के भी पास कि वो अपनी कहानी पूरी कर सके ? क्योंकि, कहानी लिखी तो  धीरे-धीरे जाती है पर हमारे सामने  वो मुकम्मल किसी एक दिन अचानक ही हो जाती है। फोन में मैसेज आता है- '' इट्स ओवर नाउ।''  सुबह जिस नंबर पर आप पूरे दिन का शेड्यूल सुना चुके होते हैं शाम से लगातार वह नंबर ''नॉट एक्जिज्ट'' हो जाता है। ....और सब कुछ पूरा हो जाता है काफी कुछ अधूरा छोड़ कर। कहानियां ऐसे ही पूरी होती है #मेरे_दोस्त ! जिंदगी हर एक को कबीर सिंह बनने का मौका नहीं देती ।...