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प्रेमचंद : पराधीन भारत के स्वाधीन लेखक

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#जन्मतिथि अब से क़रीब 140 साल पहले  बनारस के छोटे से गांव लमही के रहने वाले डाक मुंशी अजायब लाल के यहां एक लड़का पैदा होता है,  जिसका नाम धनपत राय रखा जाता है । उसी धनपत राय को आज दुनिया #प्रेमचंद के नाम से जानती है प्रेमचंद्र हिंदी कथा साहित्य के अटल ध्रुव ,प्रकाशित सूर्य और प्रवाहित गंगा के समान हैं _ जो प्रतिदिन - प्रतिपल - प्रतिक्षण नवीन है. . . और प्रासंगिक भी । प्रेमचंद हिंदी के पहले #प्रगतिशील लेखक कहे जा सकते हैं क्योंकि उन्होंने प्रगतिशील लेखक संघ के पहले सम्मेलन की अध्यक्षता की थी। उसी सम्मेलन में दिया भाषण प्रगतिशील आंदोलन के घोषणापत्र का आधार बना था । परिवार में उर्दू पढ़ने की परंपरा होने के कारण प्रेमचंद ने उर्दू की शिक्षा प्राप्त की । प्रेमचंद हिंदी में भी उर्दू से ही आए थे । हिंदी में उनकी प्रथम कहानी को लेकर सामान्यतः  'पंच परमेश्वर'  का नाम लिया जाता रहा है ।किंतु नये शोध बताते हैं कि 'पंच परमेश्वर' का प्रकाशन सरस्वती जून 1916 के अंक में हुआ था जबकि इससे पहले उनकी कहानी ' सौत'  का प्रकाशन दिसंबर 1915 वाले अंक में हो चुका था । यह कहानी आश्चर्यजनक...

उसे किताबों का बड़ा शौक था ।

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#समीक्षित #माधव_और_संवेदना उसे किताबों का बड़ा शौक था । ढेर सारी किताबों को इकट्ठा किया करती. . . उसके घर की सारी अलमारियों उसके इस शौक का सबूत थी । वह हर समय कुछ ना कुछ पढ़ती रहती थी . . .किताब दर किताब। वो कहती थी _ '' किसी किताब को पढ़ने के लिए एक दिन, समझने के लिए एक हफ्ता और जिंदगी में उतारने के लिए एक उम्र चाहिए होती है।''   उसने दुनिया भर का न जाने कितना लिटरेचर पढ़ा था _ मोपासां, गुस्ताव, टॉलस्टॉय ,चेखव, टैगोर मंटो ,रोबेर्तो_ और भी न जाने कितने नाम लिया करती थी वो . . . उन सबको पढ़ती थी वो और मैं उससे उन सब के किस्से सुनता था ।  शाम को बात करते करते धीरे-धीरे पता चलने लगता कि उसने आज क्या पढा ।  एक रात उसने मुझे मोपासां की कहानी सुनाई-  कहानी अच्छी लगी मुझे भी , पर उसका कहना था कि ये एक लव स्टोरी है और मुझे उस में कहीं भी लव एलिमेंट्स नहीं दिखे । उसने फिर से कहा कि ये एक लव स्टोरी है -  मैरिड-लाइफ की लव स्टोरी ।  इस बात ने मुझे खामोश कर दिया । मैरिड- लाइफ वाली बातें मुझे न तब समझ आती थी ना अब आती हैं ठीक लिटरेचर की तरह।  मुझे लगता है कि शादी क...