उसे किताबों का बड़ा शौक था ।

#समीक्षित

#माधव_और_संवेदना


उसे किताबों का बड़ा शौक था । ढेर सारी किताबों को इकट्ठा किया करती. . . उसके घर की सारी अलमारियों उसके इस शौक का सबूत थी । वह हर समय कुछ ना कुछ पढ़ती रहती थी . . .किताब दर किताब। वो कहती थी _ '' किसी किताब को पढ़ने के लिए एक दिन, समझने के लिए एक हफ्ता और जिंदगी में उतारने के लिए एक उम्र चाहिए होती है।'' 
उसने दुनिया भर का न जाने कितना लिटरेचर पढ़ा था _ मोपासां, गुस्ताव, टॉलस्टॉय ,चेखव, टैगोर मंटो ,रोबेर्तो_ और भी न जाने कितने नाम लिया करती थी वो . . . उन सबको पढ़ती थी वो और मैं उससे उन सब के किस्से सुनता था । 


शाम को बात करते करते धीरे-धीरे पता चलने लगता कि उसने आज क्या पढा ।  एक रात उसने मुझे मोपासां की कहानी सुनाई-  कहानी अच्छी लगी मुझे भी , पर उसका कहना था कि ये एक लव स्टोरी है और मुझे उस में कहीं भी लव एलिमेंट्स नहीं दिखे । उसने फिर से कहा कि ये एक लव स्टोरी है -  मैरिड-लाइफ की लव स्टोरी ।  इस बात ने मुझे खामोश कर दिया । मैरिड- लाइफ वाली बातें मुझे न तब समझ आती थी ना अब आती हैं ठीक लिटरेचर की तरह।  मुझे लगता है कि शादी के बाद चीजें अजीब होने लगती हैं,,, आउट ऑफ कंट्रोल  । मैं अपनी उधेड़बुन मे खोया रहता और वो मुझे समझाती रहती , आखिर मे मुझे हां कहना ही पड़ता। कभी-कभी मुझे लगता था कि इसी तरह एक दिन यह मुझसे शादी के लिए भी हामी भरवा लेगी ;  फिर मैं सोचता था कि_ बेडरूम के बगल वाले कमरे को लाइब्रेरी  में तब्दील कर दूंगा ...और ड्राइंग रूम की पिछली दीवार पर  नई अलमारियां  बनवाउंगा . . .पर इस सबकी जरूरत नहीं पड़ी ।  एक दिन उसने बताया कि उसने शादी की हामी भर दी  है किसी और के साथ. . .  मुझे उसके बाद कोई बात ठीक से याद नहीं ।


 इशिता ने बताया था कि उसके हस्बैंड का बिजनेस फॉरेन तक फैला है , कई एकड़ में उसका बंगला फैला है. . . यह तो मुझे बाद में पता चला कि उस बंगले में उसे किताबें फैलाने की जगह ना मिली और उसने सारी किताबे वापस मायके भिजवा दीं और मायके वालों ने किसी लाइब्रेरी को डोनेट कर दीं ।  


मुझे किताबें पढ़ना नहीं आता,  चाहूं तो भी नहीं पढ़ सकता ,मेरे भीतर  इतना  धीरज नहीं कि एक किस्से के पीछे 500 पन्नों तक पड़ा रहूं और अगर हिम्मत करके पढ़ भी लूँ  तो उसके बारे में किसे बताऊँगा । 


 पर अब किताबों को देखकर अजीब सी खुशी मिलती है मुझे . . .

किताबों में से उसका चेहरा झांकता दिखता है मुझे . . .

इसलिए अब उसकी यादों में किताबें खरीद लाता हूं  केवल . . .

क्योंकि उसे किताबों को बड़ा शौक था । ❤🌷

Shivam Saagar

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