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संवेदना का जन्मदिन 🌺

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 #समीक्षित   एक चेहरा जिसका ख़्याल आने भर से बैकग्राउंड मे सैंकड़ों  वॉयलिन बज उठती हैं  एक चेहरा जिसके तसव्वुर भर से हक़ीक़त के एहसास को समझा जा सकता है , शरीअत - मारिफ़त को लाँघकर . . . एक चेहरा जिसको याद करना तब-तब ज़रूरी हो उठता है जब-जब राहत फ़तेह गाते है कि -  "    चेहरा एक फूल की तरह शादाब है       चेहरा उसका है या कोई महताब है  " एक चेहरा जो ख़ुद को सियाह लिबास से ढँक अपने रंगों को छिपाने की नाकाम कोशिशें करता रहता है  एक चेहरा जो एक मिनट मे बहत्तर बार सीने से हो कर गुज़रता है  आज उसी नूरानी चेहरे की यौम-ए-पैदाइश है , आज उसी चेहरे का जन्मदिन है . . . पर . . . . . . पर माधव में इस बार इतनी हिम्मत नहीं कि एक फ़ोन कर उसे बधाई दे सके , एक स्टोरी , एक अदद स्टेटस अपडेट कर सके ! माधव को याद है कि पिछले बरस इसी तारीख़ को उसके मैसेज तक नही देखे गए थे और जब देखे गये तब उनको काबिल-ए-जवाब नहीं पाया गया। उस दिन को माधव ने अपनी डायरी में उसके और संवेदना के रिश्ते के आख़िरी दिन के रूप में दर्ज किया था। आज सुबह से ...