संवेदना का जन्मदिन 🌺

 #समीक्षित  


एक चेहरा जिसका ख़्याल आने भर से बैकग्राउंड मे सैंकड़ों  वॉयलिन बज उठती हैं 

एक चेहरा जिसके तसव्वुर भर से हक़ीक़त के एहसास को समझा जा सकता है , शरीअत - मारिफ़त को लाँघकर . . .

एक चेहरा जिसको याद करना तब-तब ज़रूरी हो उठता है जब-जब राहत फ़तेह गाते है कि - 

"    चेहरा एक फूल की तरह शादाब है

      चेहरा उसका है या कोई महताब है  "

एक चेहरा जो ख़ुद को सियाह लिबास से ढँक अपने रंगों को छिपाने की नाकाम कोशिशें करता रहता है 

एक चेहरा जो एक मिनट मे बहत्तर बार सीने से हो कर गुज़रता है 

आज उसी नूरानी चेहरे की यौम-ए-पैदाइश है , आज उसी चेहरे का जन्मदिन है . . . पर . . .

. . . पर माधव में इस बार इतनी हिम्मत नहीं कि एक फ़ोन कर उसे बधाई दे सके , एक स्टोरी , एक अदद स्टेटस अपडेट कर सके ! माधव को याद है कि पिछले बरस इसी तारीख़ को उसके मैसेज तक नही देखे गए थे और जब देखे गये तब उनको काबिल-ए-जवाब नहीं पाया गया। उस दिन को माधव ने अपनी डायरी में उसके और संवेदना के रिश्ते के आख़िरी दिन के रूप में दर्ज किया था। आज सुबह से उसे पिछले बरस की वो शब रह-रहकर याद आती रही, संवेदना की वो चुप्पी याद आती रही जो उसके दिलो-दिमाग़ को खाए जा रही थी ( या शायद आज भी खाए जा रही है)। वो चुप्पी जो फिर बारहां मिल कर भी न मिटी, बाद मे फ़िर घंटो की लम्बी बातें उस कमी को न भर सकीं। 

माधव की दिक्कत है ये कि उसे वक़्त पर चीज़ें याद भले ही न आएं पर भूलता वो कुछ नहीं, कुछ भी नहीं। हज़ारो कोशिशें करने के बावज़ूद वो संवेदना को ही नहीं भुला पा रहा। 

हाँ ! बीच में एक वक़्त आया था जब उसे लगने लगा था कि वो संवेदना को भुला सकता है, वो सोचने लगा था कि उसे सोचे बिना काम चल सकता है, उसका ज़िक्र किये बिना वो कहानियाँ लिख सकता है, उसको ख़्वाबों मे लाए बिना वो कविताओं के फूल खिला सकता है, ग़ज़लों की चाँदनी चमका सकता है । माधव को लगा था कि संवेदना को सोचे बिना पेटिंग में रंग भरे जा सकते हैं , बालकनी के पौधों में गुल खिल सकते है_ महक सकते है. . . पर कुछ न हुआ , कुछ भी न हुआ । माधव हार गया !

 न जाने कब उसकी दुनिया एक ऐसी दुनिया में तब्दील होती गयी जहाँ सब कुछ है सिवाय संवेदना के . . . या फिर एक ऐसी दुनिया मे जहाँ सिर्फ़ संवेदना है हर एक शै के साथ घुली-मिली ।

. . .अब माधव को अच्छे से पता है कि उस एक चेहरे के बिना उसका खुद अपने लिए कोई वज़ूद नहीं है सो गाहे-बगाहे वो उस चेहरे का ज़िक्र करता है , उस चेहरे का शुक्र करता है , उसकी फ़िक्र करता हैं बस अब किसी मौक़े उसे मुबारक़बाद नहीं देता !!!

ख़ैर! बहरहाल! 

मुहब्बत  करने  वाले  कम  न होंगे

तेरी महफ़िल मे लेकिन हम न होंगे 

- हफ़ीज़  

#माधव_और_संवेदना ❤

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