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Showing posts from December, 2018

ऐ मेरे दोस्त ! भाग -3

ऐ मेरे दोस्त ! आज तुम्हारे भी आसपास हैं ऐसे बहुत से लोग जिनके साथ गुजर जाता है तुम्हारा दिन भी घोड़े पर चढ़े हुए किसी सवार सा धूल उड़ाते हुए..... जानता हूं .... हालांकि मैं यह भी कि __ज...

ऐ मेरे दोस्त ! भाग-2

ऐ मेरे दोस्त ! मुझे याद है कि .. किस तरह हम साथ साथ वक्त बिताते थे , गलियों सड़कों और शहर से बाहर भी साथ साथ जाते थे , तुम्हारे 15वें जन्मदिन पर मैंने दिया था नकली फूलों का गुलदस्ता .. ...

ए मेरे दोस्त!

ए मेरे दोस्त ! उस दिन जब_ बरसों के बाद मिले हम तो हमारे पास बेहद कम मुद्दे थे__बात करने लायक इसीलिए बात और भी कम हुई खामोशी थी सिर्फ तादाद में बहुत ज्यादा । इधर कई बरस बीत जाने के ...