ऐ मेरे दोस्त ! भाग-2
ऐ मेरे दोस्त !
मुझे याद है कि ..
किस तरह हम साथ साथ वक्त बिताते थे ,
गलियों सड़कों और शहर से बाहर भी
साथ साथ जाते थे ,
तुम्हारे 15वें जन्मदिन पर मैंने दिया था
नकली फूलों का गुलदस्ता ..
जिसे महकाया गया था
किसी मामूली किस्म के इत्र से ;
उसी साल मेरी जिंदगी के 15वें नए वर्ष पर
मुझे भी मिला था
एक कार्ड नुमा तोहफा .. शुभकामनाओं के साथ
( जिसे आज तक रखा है महफूज
इस जहान के फानीपन से )
क्या तुम्हें आज याद हैं उस दौर के वो किस्से
जो हमने केवल आपस में साझा करे थे...
ऐ मेरे दोस्त ! आज मैं उन किस्सों की ईमारत की
कुछ मंजिलें बढ़ाना चाहता हूं ;
मैं तुमसे मिलना चाहता हूं..|
शिवम् सागर
9557301043
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