ऐ मेरे दोस्त ! भाग -3

ऐ मेरे दोस्त !
आज तुम्हारे भी आसपास
हैं ऐसे बहुत से लोग
जिनके साथ गुजर जाता है तुम्हारा दिन भी
घोड़े पर चढ़े हुए किसी सवार सा
धूल उड़ाते हुए.....
जानता हूं .... हालांकि मैं यह भी
कि __जिंदगी की उलझनों ने
कर दिया है हमें बेहद मसरूफ
और 12 बरस बीत जाने के बाद
नामुमकिन है ढूंढ पाना उन गाफिल लड़कों को ।
पर यकीं करो इस बात का कि
हमारे साथ खड़ी हजारों की भीड़
हमारी नहीं ..किसी भी मायने में....,
हमारे आसपास के लोग हमसे मिलना चाहते हैं ,
हमारे साथ यहां वहां भटकना चाहते हैं ,
जरूरत पड़े तो हमें बदलना चाहते हैं ,
बस हमें समझना नहीं चाहते
ऐ मेरे दोस्त !
आओ बात करें समझदारों की तरह
मैं तुम्हें समझना चाहता हूं ।

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