याद तुम्हारी जब-जब आई तब-तब मैंने गीत लिखा । तेरी यादें छुपाके मैंने , रखी है इन गीतों में , बहुत सी बातें,फरियादें हैं बचा के रखी गीतों में , तुम्हें सोच कर जब-जब मैंने ...
अधर की सांकलें मन के करों से खोल देती तुम स्वरों के मधु को इस मादक पवन में घोल देती तुम , कि मैं उलझा था उलझन में सो तुमको देख ना पाया जो देखा था मुझे तुमने__तो कुछ तो बोल दे...