एक प्रेमगीत
याद तुम्हारी जब-जब आई तब-तब मैंने गीत लिखा ।
तेरी यादें छुपाके मैंने , रखी है इन गीतों में ,
बहुत सी बातें,फरियादें हैं बचा के रखी गीतों में ,
तुम्हें सोच कर जब-जब मैंने पलकें गीली की अपनी
तब तक आंखों के पानी को मैंने प्यारी प्रीत लिखा ।
यह मेरा गुमसुम मन मेरे सपनों की आवाज़ बना ,
जोर जोर से धड़क रहा है , ये मेरा दिल साज बना ,
तुम क्या गुजरी पास से मेरे चाल बदल ली सांसों नें _
फिर तेरी हर सांस ने मेरी धड़कन पर संगीत लिखा ।
नूर में डूबा चेहरा तेरा देख नज़र झुक जाती है
कुछ ना बोले तेरे आगे ज़ुबां मेरी रुक जाती है
तेरे संग बीता हर लम्हा आंखों में छाया रहता ,
मैंने अपने उस हर एक-एक लम्हे को मनमीत लिखा।
स्मृति तुम्हारी
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