रम्या
(1)
मैं उसकी आंखों के भीतर देखने की कोशिश कर रहा था । मेरी कोशिश थी कि उसकी आंखों में झांक कर उस लड़की को देखूं जिसने 5 बरस पहले इजहार- ए- इश्क किया था मुझसे ।
रम्या जब एम ए में एडमिशन लेकर कॉलेज में दाखिल हुई थी तब वह काफी अच्छी कविताएं लिखने लगी थी । हिंदी पढ़ने वाली अब तक कितनी लड़कियों से मैं मिला था , रम्या उन सब से अलग थी । उसे हिंदी इसलिए नहीं पढ़नी थी क्योंकि हिंदी पढ़ी जा सकती थी बल्कि उसे हिंदी इसलिए पढ़नी थी क्योंकि वो हिंदी ही पढ़ना चाहती थी । मुझे नहीं पता चला कि हिंदी पढ़ते-पढ़ते वह कब पढ़ने लगी मेरी कविताएं। मेरे कई गीत उसकी खामोशियों की आवाज बने ऐसा बताया था उसने जब इजहार किया था अपने इश्क का ।
वह समझती थी मुझको बेहद रोमांटिक बिल्कुल मेरी कविताओं की तरह । उसे नहीं पता था कि ये कविताएं विरोधाभास हैं मेरे जीवन का ; जो सुख सौंदर्य लालसा उत्कंठा पूरी करने में असमर्थ रहा है मेरा जीवन उसे उतार दिया मैंने कविताओं में । अपने पहले इश्क की पहली हार को आखरी मान चुके मुझ पागल को उन दिनों किसी और से इश्क करना ही नहीं था । एक बार में सीधे-सीधे मना कर दिया था मैंने उसे । अगर मैं हां कह देता उससे उस दिन तो शायद आज उसकी गोद में खेल रहे बच्चे का नाम 'निशीथ' होता ।
(2)
''Every beautiful girl deserve an eye'- ये गिटार की स्ट्रिंग्स को याद रखने का सबसे अच्छा तरीका है '' - माधव हाथ में अपना नया गिटार पकड़े निखिल को समझा रहा था । मैंने कमरे में कदम रखा । माधव ने एक स्वागत करने सी धुन बजाई । निखिल ने उसे फॉलो किया ।
''आज मुझे रम्या मिली ।'' - मैंने जूते खोलते हुए कहा। दोनों गिटार खामोश हो गए
''कहां ? '' शायद दोनों ने एक साथ ही पूछा
''अयोध्या के लिए रिजर्वेशन कराने गया था ना... वही स्टेशन पर '' शर्ट पसीने से भीग गई थी मैंने उतार कर टांग दी।
''फिर क्या बात हुई ? मनजीत भी साथ था क्या ? ''माधव ने पूछा । गिटार में इश्किया धुनें खेलने लगी।
'' नहीं , मनजीत नहीं था.... लखनऊ जा रही थी वो ट्रेन थोड़ा लेट हो गई। '' मैं अब कुछ और बताना नहीं चाहता था ।
''बताओ आखिर बात क्या हुई फिर ? अकेले में तो तुमने ......'' माधव की बात मैंने पूरी नहीं होने दी ।
''अकेले नहीं थी वो ।'' मैंने सफाई सी दी ।
'' फिर ?'' - निखिल की नजरों में कई सवाल थे ।
'' उसकी गोद में बेटा था उसका 'दीप' अभी डेढ़ साल का नहीं हुआ है ।'' - मैं नजरें मिलाना नहीं चाहता था। फिर दोनों गिटार खामोश हो गए।
माधव किचिन की तरफ बढ़ गया । निखिल को याद आ गया कुछ बेहद जरूरी सा काम , सो वो चला गया । माधव ने खाना लगा दिया । मेरी थाली में नींबू रखना भूल गया है वो । इसके बिना तूर की दाल खाना मुश्किल था थोड़ा पर खा लिया मैंने चुपचाप ।
माधव समझता है मुझे। उसे पता है कि रम्या क्या है मेरे लिए । रम्या को भले ही इश्क के दायरे में नहीं ला पाया था मैं पर अन्वेषा के जाने के बाद उसने जिस तरह का मोरल सपोर्ट दिया था मुझे वह आम बात नहीं थी । उसके प्रपोजल को ठुकरा देने के बाद भी वह दोस्त बनी रही मेरी हमेशा .... और जब मैं उसके बारे में सोचने लगा था बिल्कुल उस तरह जैसे सोचा करता था अन्वेषा के बारे में .... तब उसने मुझे खबर दी अपनी शादी की। शायद वह बचा रही थी मुझे दोबारा इश्क करने से ।
रात को बड़ी धीमी आवाज में माधव ने मुझसे कहा - '' क्या पता संवेदना भी मुझ से टकराए कभी - कहीं इसी तरह !शायद वह भी अपने बच्चे का नाम 'निशांत' ना रखें । ''
मैं कुछ नहीं बोला इशारा किया माधव को कि कमरे से निकलते हुए लाइट बंद करते हुए जाए ।
देखो आज रात नींद आती है या नही !
वाह.....!!. बहुत ही सुंदर👌👌👌👌
ReplyDeleteआभार मित्र 🌷❤😊
DeleteRamya....William Wordsworth ki Lucy to nahi??? Hakikat hai ya fasana?
ReplyDeleteहै तो फसाना ही .... नही लूसी सी कल्पना नही है रम्या तो माधव और संवेदना वाली कड़ियो की एक पात्र भर है ।
Deleteआपका आभार इस टिप्पणी के लिए ❤🌷