लघु कविताएं ।

1) बेखयाली को ख़यालों से दबाकर समेट रहा हूं बेचैनियों को___ बेहद चैन से मैं , अभी तुम्हारी कोई मदद नहीं कर पाऊंगा। 2) ज़ुबान से कितनी ही ज़ुबानें बोल लो तुम ; एक ही जुबान है आंखों की और वह आती है मुझे , शायद तुम से भी बेहतर । 3) ना ना .... अभी इधर मत आना सोई है रौशनी अंधेरों की रिदा ओढ़कर सुबह होने तक का इंतजार करो अगर अकेले हो ....तो मेरे पास बैठो __कुछ बात करो । 4) अक्सर__ तुम्हारे बारे में सोचते हुए सर दर्द हो जाता है ,,, मेरे दिल को कोई इलाज है क्या तुम्हारे पास ? -शिवम सागर 9557301043