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लघु कविताएं ।

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1) बेखयाली को ख़यालों से दबाकर समेट रहा हूं बेचैनियों को___ बेहद चैन से मैं , अभी तुम्हारी कोई मदद नहीं कर पाऊंगा। 2) ज़ुबान से कितनी ही ज़ुबानें बोल लो तुम ; एक ही जुबान है आंखों की और वह आती है मुझे , शायद तुम से भी बेहतर । 3) ना ना .... अभी इधर मत आना सोई है रौशनी अंधेरों की रिदा ओढ़कर सुबह होने तक का इंतजार करो अगर अकेले हो ....तो मेरे पास बैठो __कुछ बात करो । 4) अक्सर__ तुम्हारे बारे में सोचते हुए सर दर्द हो जाता है ,,, मेरे दिल को कोई इलाज है क्या तुम्हारे पास ? -शिवम सागर 9557301043

ग़ज़ल

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पूछा मैंने  कई इक  दफ़ा , उसने पर कुछ कहा ही नहीं अब तो लगता है कि दरमियां अपने कुछ भी रहा ही नहीं ज़िंदगी ले गई ज़िंदगी ,मुझ में कुछ भी बचा ही नहीं हम दवा ले रहे हैं मगर , मर्ज़   का कुछ पता ही नहीं वैसे भी कह रहे थे सभी ख़ास इतनी ख़ता ही नहीं पर तेरे रहम का शुक्रिया , तूने दी कुछ सज़ा ही नहीं कहने को तो हैं कहते सभी , कहने में सच मनाही नहीं फिर वही लोग सच की कभी खुद  ही देते गवाही नहीं करके देखी बचत उम्र भर हाल हो पाया शाही नहीं कतरे ही जोड़ता रह गया.., पर मैं सागर बना ही नहीं #शिवम_सागर