ग़ज़ल
पूछा मैंने कई इक दफ़ा , उसने पर कुछ कहा ही नहीं
अब तो लगता है कि दरमियां अपने कुछ भी रहा ही नहीं
अब तो लगता है कि दरमियां अपने कुछ भी रहा ही नहीं
ज़िंदगी ले गई ज़िंदगी ,मुझ में कुछ भी बचा ही नहीं
हम दवा ले रहे हैं मगर , मर्ज़ का कुछ पता ही नहीं
हम दवा ले रहे हैं मगर , मर्ज़ का कुछ पता ही नहीं
वैसे भी कह रहे थे सभी ख़ास इतनी ख़ता ही नहीं
पर तेरे रहम का शुक्रिया , तूने दी कुछ सज़ा ही नहीं
पर तेरे रहम का शुक्रिया , तूने दी कुछ सज़ा ही नहीं
कहने को तो हैं कहते सभी , कहने में सच मनाही नहीं
फिर वही लोग सच की कभी खुद ही देते गवाही नहीं
फिर वही लोग सच की कभी खुद ही देते गवाही नहीं
करके देखी बचत उम्र भर हाल हो पाया शाही नहीं
कतरे ही जोड़ता रह गया.., पर मैं सागर बना ही नहीं
कतरे ही जोड़ता रह गया.., पर मैं सागर बना ही नहीं
#शिवम_सागर
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