लघु कविताएं ।
1)
बेखयाली को ख़यालों से दबाकर
समेट रहा हूं
बेचैनियों को___ बेहद चैन से
मैं , अभी तुम्हारी
कोई मदद नहीं कर पाऊंगा।
बेखयाली को ख़यालों से दबाकर
समेट रहा हूं
बेचैनियों को___ बेहद चैन से
मैं , अभी तुम्हारी
कोई मदद नहीं कर पाऊंगा।
2)
ज़ुबान से कितनी ही ज़ुबानें
बोल लो तुम ;
एक ही जुबान है आंखों की
और वह आती है मुझे ,
शायद तुम से भी बेहतर ।
ज़ुबान से कितनी ही ज़ुबानें
बोल लो तुम ;
एक ही जुबान है आंखों की
और वह आती है मुझे ,
शायद तुम से भी बेहतर ।
3)
ना ना .... अभी इधर मत आना
सोई है रौशनी
अंधेरों की रिदा ओढ़कर
सुबह होने तक का इंतजार करो
अगर अकेले हो ....तो
मेरे पास बैठो __कुछ बात करो ।
ना ना .... अभी इधर मत आना
सोई है रौशनी
अंधेरों की रिदा ओढ़कर
सुबह होने तक का इंतजार करो
अगर अकेले हो ....तो
मेरे पास बैठो __कुछ बात करो ।
4)
अक्सर__
तुम्हारे बारे में सोचते हुए
सर दर्द हो जाता है ,,,
मेरे दिल को
कोई इलाज है क्या तुम्हारे पास ?
अक्सर__
तुम्हारे बारे में सोचते हुए
सर दर्द हो जाता है ,,,
मेरे दिल को
कोई इलाज है क्या तुम्हारे पास ?
-शिवम सागर 9557301043
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