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Showing posts from 2021

संवेदना का जन्मदिन 🌺

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 #समीक्षित   एक चेहरा जिसका ख़्याल आने भर से बैकग्राउंड मे सैंकड़ों  वॉयलिन बज उठती हैं  एक चेहरा जिसके तसव्वुर भर से हक़ीक़त के एहसास को समझा जा सकता है , शरीअत - मारिफ़त को लाँघकर . . . एक चेहरा जिसको याद करना तब-तब ज़रूरी हो उठता है जब-जब राहत फ़तेह गाते है कि -  "    चेहरा एक फूल की तरह शादाब है       चेहरा उसका है या कोई महताब है  " एक चेहरा जो ख़ुद को सियाह लिबास से ढँक अपने रंगों को छिपाने की नाकाम कोशिशें करता रहता है  एक चेहरा जो एक मिनट मे बहत्तर बार सीने से हो कर गुज़रता है  आज उसी नूरानी चेहरे की यौम-ए-पैदाइश है , आज उसी चेहरे का जन्मदिन है . . . पर . . . . . . पर माधव में इस बार इतनी हिम्मत नहीं कि एक फ़ोन कर उसे बधाई दे सके , एक स्टोरी , एक अदद स्टेटस अपडेट कर सके ! माधव को याद है कि पिछले बरस इसी तारीख़ को उसके मैसेज तक नही देखे गए थे और जब देखे गये तब उनको काबिल-ए-जवाब नहीं पाया गया। उस दिन को माधव ने अपनी डायरी में उसके और संवेदना के रिश्ते के आख़िरी दिन के रूप में दर्ज किया था। आज सुबह से ...

पत्रकारिता धर्म और गणेश शंकर विद्यार्थी

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''मैं अपने नाम के आगे विद्यार्थी इसलिए जोड़ता हूं क्योंकि मेरा मानना है कि मनुष्य ज़िंदगी भर सीखता रहता है,  हम विद्यार्थी बने रहते हैं '' - इस प्रकार के महान आदर्शों को सामने रखकर गणेश शंकर विद्यार्थी जी पत्रकारिता को एक साधन के रूप मे ही स्वीकार करते हैं । पत्रकारिता उनके जीवन का ध्येय अथवा उद्देश्य  न थी । उसके सहारे से वह एक महान कार्य करना चाहते थे । समाज के प्रति पत्रकार के दायित्व को वे भली  प्रकार समझते थे । व्यापक विचारों के समर्थन में अपना मत व्यक्त करने वाले गणेश जी का मानना था कि निष्पक्ष  भाव से समाचार देना पत्रकार के लिए आवश्यक है । विद्यार्थी जी के अनुसार पत्रकार समाज का सृष्टा है , सत्य का उपासक है सर्वहित चिंतनकारी है । केवल समाचार देना,  पैसा कमाना है ;और इस तक आज पैसा कमाना पाप है । विद्यार्थी जी की इन मान्यताओं के कारण प्रताप का बहुत आदर हुआ उसे जनसाधारण का पूरा पूरा सहयोग और विश्वास मिला । उनका मानना था कि जिस प्रकार एक छापने वाली मशीन केवल वही छाप सकती है जैसा कि कम्पोजीटर ने कंपोज किया है कि ठीक उसी प्रकार सत्य - असत्य , धर्म और अधर्म का ...

केदारनाथ सिंह स्मरण

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#समीक्षित #प्रियकवि_केदारनाथसिंह ''मैं क्यों और कैसे लिखता हूं इसका कोई सीधा उत्तर मेरे पास नहीं है बस इतना जानता हूं कि मेरे लिखने की यात्रा मेरे बोलने से शुरू होती है मैं बोलता हूं इसलिए लिखता हूं ।'' ×        ×           × '' कविताएं किसी व्यक्ति पर नहीं समय पर लिखी जाती हैं '' ×           ×           × #समीक्षित #प्रियकवि_केदारनाथसिंह ''मैं क्यों और कैसे लिखता हूं इसका कोई सीधा उत्तर मेरे पास नहीं है बस इतना जानता हूं कि मेरे लिखने की यात्रा मेरे बोलने से शुरू होती है मैं बोलता हूं इसलिए लिखता हूं ।'' ×        ×           × '' कविताएं किसी व्यक्ति पर नहीं समय पर लिखी जाती हैं '' ×           ×           × उसका हाथ  अपने हाथ में लेते हुए मैंने सोचा दुनिया को  हाथ की तरह गर्म हो सुंदर होना चाहिए ❤❤🌷 ×          ×      ...