निखिल।

#समीक्षित '' गिटार के तार बजते भले ही बाहर हों ... पर छेड़ा उन्हें अंदर जाता है .., दिल के अंदर ।''- माधव निखिल को कुछ समझाने की कोशिश कर रहा था । निखिल को घंटा कुछ समझ आ रहा था । आस-पास के दो-चार मुहल्लों में अगर कोई लड़का इन दिनों सच्चे इश्क में था , तो वह निखिल था । इश्क के शहर में अभी हाल ही में दाखिल हुए निखिल को इश्क हर मर्ज की दवा लगता , हर मुश्किल का हल लगता । इन दिनों हर बात , हर मसले - मुश्किल को सुलझाने की कुब्बत रखने वाला निखिल ''मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकती'' वाले पड़ाव पर जी रहा था ''घर वाले नहीं मानेंगे'' वाली सच्चाई से बिल्कुल बेखबर । वो बड़े खूबसूरत सपने सजाता और उन्हे अपने दोस्तों के साथ में साझा करता । माधव को इश्क में नाकाम होते देख सोचता कि उसके और कामिनी के बीच आने वाली मुश्किलों को वह कितने अच्छे से हैंडल कर लेता है । वो माधव को भी एक सांस में कई सजेशन दे डालता है , माधव सुनता है उसे .... बड़ी खामोशी के साथ । आखिर बस मुस्कुरा देता है । करने को माधव आगाह कर सकता है निखिल को पर निखिल ने अभी-अभ...