रास्ते ।
कार अपनी स्पीड से चले जा रही है । कालपी से हमीरपुर को जाता यह हाईवे लगभग खाली है ।
म्यूजिक प्लेयर गाने बजाए जा रहा है ; ''तेरा चेहरा '' खत्म होकर ''तेरा घाटा '' बजने लगा । मैंने बदलने के लिए हाथ बढ़ाया पर माधव ने रोक दिया। मैंने माधव की तरफ देखा , वह बाहर की तरफ देख रहा था । बाहर अंधेरे में वह न जाने क्या देखने की कोशिश कर रहा है ; कई किलोमीटर दूर किसी गांव की टिमटिमाती लाइट्स दूर से काफी अच्छी लग रही है ।
'' थोड़ी देर रोक लूं क्या ? ''- मैंने पूछा
'' नहीं चलने दो '' - उसने वैसे ही बैठे-बैठे कहा ।
'' नहीं चलने दो '' - उसने वैसे ही बैठे-बैठे कहा ।
तभी फोन वाइब्रेट हुआ , शायद आस्था फोन कर रही होगी ; ये पूछने के लिए कि मैं अभी पहुंचा या नहीं । अब लगभग 15 - 20 मिनट और लगेंगे । वहां पहुंचकर ही देखूंगा ।
माधव ने खिड़की का शीशा खोल लिया । हवा की ठंडक महसूस होने लगी तुरंत ही । कुछ कहना चाह कर भी मैं चुप रहा ; अब कुछ मिनट में थम जाएगा यह सफर भी ....ना चाहने के बाद भी ।
ना जाने यह सड़क कितनी दूर तक जाती है ।
शिवम् सागर समीक्षित ।
+919557301043
+919557301043
That's call a real यात्रा व्रतांत रचना...... Truly nice..
ReplyDeleteशुक्रिया 😊 ☺ ❤ ❤ 😊😊😊
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