वो मेरी सिर्फ दोस्त है ।
दोपहर में उसका फोन आया , मैं उठा नहीं पाया; कुछ देर बाद उसका मैसेज आया, पर मैंने रिप्लाई नहीं किया । शाम को जब उसे बताया कि मैं माधव के साथ था और उसने सवाल कर दिया कि ''कौन माधव ? '' तब लगा इन दिनों की अपने सब से खास साथी से तो मैंने उसे मिलवाया नहीं ।
मैंने बताना शुरू किया- '' माधव मेरा दोस्त इधर 4 - 5 महीनों से जानता हूं उसे , अच्छा नेक दिल लड़का है बस संवेदना के छोड़के चले जाने के बाद से परेशान हो गया है , उसका भरोसा टूट गया है जैसे । अब शायद वह किसी ऐसे को ढूंढ रहा है जो उसके पास आकर , नजदीक बैठकर , उसके साथ अपनी शाम को बिना शर्त के बिताते हुए कहे कि उसे भरोसा है माधव पर । ''
चलिए सुविधा के लिए बता दूं कि मैं जिस से बात कर रहा हूं उसका नाम आस्था है और इसे पिछले 1 साल 7 महीने से जानता हूं । मैंने आस्था से पूछ दिया कि क्या माधव को हक नहीं है एक बार संवेदना से चिल्लाकर पूछे कि आखिर उसने ऐसा क्यों किया ?
'' मैं होती तो मार-मार के पूछती कि क्यों किया ऐसा ... लेकिन वो माधव है उसकी मर्जी .... हक की बातें थोड़े समय तक ही रहती है ।''
''माधव चाहता था कि एक बार संवेदना कह देती कि यह शादी करना उसे मंजूर नहीं है तो माधव कुछ भी करके उसे इस सबसे दूर ले जाता ।''
'' फिर तो माधव से कहो कि अपने मन की करें , सिर्फ अपने दिल की सुने'' आस्था ने कहा ।
''पर कैसे ? संवेदना ने तो सब कुछ एक झटके में तोड़ दिया है, वह पेंडेंट भी जिसे 2 महीने पैसे बचा कर माधव ने खरीदा था'' मैंने माधव की ओर से सफाई दी
''आखिर संवेदना ने ऐसा क्यों किया? मुझे बताओ ।''
'' नहीं पता कुछ भी तरतीब से नहीं पता मुझे ... माधव कुछ खुलकर नहीं बता पा रहा है .. अभी एक आध दिन पहले संवेदना मिली माधव को , पर माधव को लगा कि उसके भीतर की संवेदनाएं मर चुकी है'' _ मैं माधव के दर्द की पूरी कहानी दुनिया इंसान को सुना देने की बेचैनी में बोले जा रहा था । ''माधव कह रहा था कि वह उसे सिर्फ अपना दोस्त बता रही थी .. सिर्फ दोस्त । माधव का जी किया कि हर शाम की उस एक एक कोल्डड्रिंक का हिसाब मांगे जिसमें दो स्ट्रॉ डाले जाते थे । उसके साथ ताजमहल घूमने जाने का मतलब मतलब पूछे । उससे पूछे कि 7 फरवरी को गुलाब क्यों दिए जाते हैं । पर माधव बेचारा खामोश हो गया जब उसमें हजारों कमियां ढूंढ निकाली संवेदना ने .... और यह कमियां संवेदना को तभी से नजर आने लगी हैं जब से उसका रिश्ता तय हुआ है ।''- मैं बोलते-बोलते थक सा गया था ।
''किससे ? कौन है वह जिससे इसकी शादी तय हुई ?''- आस्था ने पूछा ।
''अर्जुन नाम है उसका , गाजियाबाद में इंजीनियर है लड़का''
'' और माधव क्या करता है ? ''
''गिटार आर्टिस्ट है मैडम ... यहां से दिल्ली तक कॉन्सर्ट की जान है वो और पढ़ भी रहा है ओपन यूनिवर्सिटी से ।
'' प्रेम और शादी दोनों एक दूसरे के विरोधी है '' आस्था ने कहा और मैं सन्न रहा गया।
''तो इसका अर्थ यह भी निकाला जा सकता है क्या कि जहां शादी वहां प्रेम नहीं ! यह क्या कह रही हो तुम ? मेरे विचार से तो पूरक हैं दोनों '' - बात व्यक्तिगत सी हो उठी
''होता होगा शादी के बाद भी प्रेम पर.... जिम्मेदारियों में प्रेम का पता ही नहीं चलता कि कहां गया ; क्या संवेदना ने कभी कहा था कि वह माधव से शादी करेगी ? ''- आस्था ने बात को फिर माधव की तरफ मोड़ दिया ।
'' क्या यह कहना ज्यादा जरूरी है ? क्या सच में खामोशी के कोई मायने नहीं है ? '' - मैं उसे कुछ और भी समझाने की कोशिश कर रहा था ।
''मुझे ऐसा नहीं लगता कि बिना बोले किसी बात का पता लगाया जा सकता है ... दोनों मैच्योर हैं ''- आस्था ने जैसे मेरे ही सवाल का जवाब दिया ।
'' अरे मैंने देखा है संवेदना को ... माधव की बाहें पकड़ के सेल्फी लेकर फेसबुक में पोस्ट कर देना , सिर्फ दोस्ती नहीं लग सकता , ना मुझे, ना किसी और को '' - मैंने सफाई दी ।
''शायद वो उसकी आदत हो गई हो ! मैं यह इसलिए कह रही हूं क्योंकि पता नहीं चलता पर हम जिस के साथ जिस तरीके से रह रहे होते हैं उसकी वैसी ही आदत हो जाती है हमें''
''हां सो तो होता ही है , यह अंडरस्टैंडिंग इतनी सहजता के साथ पनपती है कि पता ही नहीं चलता ''- बात फिर हम दोनों के दरमियां आ गई ।
''अब जैसे हमें ही देख लो , अंडरस्टैंडिंग बढ़ ही तो रही है हर रोज़ '' - आस्था ने बिल्कुल मेरे मन की बात कह दी ।
इसके बाद बातें कितनी लंबी हुई याद नहीं ।
शिवम् सागर समीक्षित ।
9557301043
मैंने बताना शुरू किया- '' माधव मेरा दोस्त इधर 4 - 5 महीनों से जानता हूं उसे , अच्छा नेक दिल लड़का है बस संवेदना के छोड़के चले जाने के बाद से परेशान हो गया है , उसका भरोसा टूट गया है जैसे । अब शायद वह किसी ऐसे को ढूंढ रहा है जो उसके पास आकर , नजदीक बैठकर , उसके साथ अपनी शाम को बिना शर्त के बिताते हुए कहे कि उसे भरोसा है माधव पर । ''
चलिए सुविधा के लिए बता दूं कि मैं जिस से बात कर रहा हूं उसका नाम आस्था है और इसे पिछले 1 साल 7 महीने से जानता हूं । मैंने आस्था से पूछ दिया कि क्या माधव को हक नहीं है एक बार संवेदना से चिल्लाकर पूछे कि आखिर उसने ऐसा क्यों किया ?
'' मैं होती तो मार-मार के पूछती कि क्यों किया ऐसा ... लेकिन वो माधव है उसकी मर्जी .... हक की बातें थोड़े समय तक ही रहती है ।''
''माधव चाहता था कि एक बार संवेदना कह देती कि यह शादी करना उसे मंजूर नहीं है तो माधव कुछ भी करके उसे इस सबसे दूर ले जाता ।''
'' फिर तो माधव से कहो कि अपने मन की करें , सिर्फ अपने दिल की सुने'' आस्था ने कहा ।
''पर कैसे ? संवेदना ने तो सब कुछ एक झटके में तोड़ दिया है, वह पेंडेंट भी जिसे 2 महीने पैसे बचा कर माधव ने खरीदा था'' मैंने माधव की ओर से सफाई दी
''आखिर संवेदना ने ऐसा क्यों किया? मुझे बताओ ।''
'' नहीं पता कुछ भी तरतीब से नहीं पता मुझे ... माधव कुछ खुलकर नहीं बता पा रहा है .. अभी एक आध दिन पहले संवेदना मिली माधव को , पर माधव को लगा कि उसके भीतर की संवेदनाएं मर चुकी है'' _ मैं माधव के दर्द की पूरी कहानी दुनिया इंसान को सुना देने की बेचैनी में बोले जा रहा था । ''माधव कह रहा था कि वह उसे सिर्फ अपना दोस्त बता रही थी .. सिर्फ दोस्त । माधव का जी किया कि हर शाम की उस एक एक कोल्डड्रिंक का हिसाब मांगे जिसमें दो स्ट्रॉ डाले जाते थे । उसके साथ ताजमहल घूमने जाने का मतलब मतलब पूछे । उससे पूछे कि 7 फरवरी को गुलाब क्यों दिए जाते हैं । पर माधव बेचारा खामोश हो गया जब उसमें हजारों कमियां ढूंढ निकाली संवेदना ने .... और यह कमियां संवेदना को तभी से नजर आने लगी हैं जब से उसका रिश्ता तय हुआ है ।''- मैं बोलते-बोलते थक सा गया था ।
''किससे ? कौन है वह जिससे इसकी शादी तय हुई ?''- आस्था ने पूछा ।
''अर्जुन नाम है उसका , गाजियाबाद में इंजीनियर है लड़का''
'' और माधव क्या करता है ? ''
''गिटार आर्टिस्ट है मैडम ... यहां से दिल्ली तक कॉन्सर्ट की जान है वो और पढ़ भी रहा है ओपन यूनिवर्सिटी से ।
'' प्रेम और शादी दोनों एक दूसरे के विरोधी है '' आस्था ने कहा और मैं सन्न रहा गया।
''तो इसका अर्थ यह भी निकाला जा सकता है क्या कि जहां शादी वहां प्रेम नहीं ! यह क्या कह रही हो तुम ? मेरे विचार से तो पूरक हैं दोनों '' - बात व्यक्तिगत सी हो उठी
''होता होगा शादी के बाद भी प्रेम पर.... जिम्मेदारियों में प्रेम का पता ही नहीं चलता कि कहां गया ; क्या संवेदना ने कभी कहा था कि वह माधव से शादी करेगी ? ''- आस्था ने बात को फिर माधव की तरफ मोड़ दिया ।
'' क्या यह कहना ज्यादा जरूरी है ? क्या सच में खामोशी के कोई मायने नहीं है ? '' - मैं उसे कुछ और भी समझाने की कोशिश कर रहा था ।
''मुझे ऐसा नहीं लगता कि बिना बोले किसी बात का पता लगाया जा सकता है ... दोनों मैच्योर हैं ''- आस्था ने जैसे मेरे ही सवाल का जवाब दिया ।
'' अरे मैंने देखा है संवेदना को ... माधव की बाहें पकड़ के सेल्फी लेकर फेसबुक में पोस्ट कर देना , सिर्फ दोस्ती नहीं लग सकता , ना मुझे, ना किसी और को '' - मैंने सफाई दी ।
''शायद वो उसकी आदत हो गई हो ! मैं यह इसलिए कह रही हूं क्योंकि पता नहीं चलता पर हम जिस के साथ जिस तरीके से रह रहे होते हैं उसकी वैसी ही आदत हो जाती है हमें''
''हां सो तो होता ही है , यह अंडरस्टैंडिंग इतनी सहजता के साथ पनपती है कि पता ही नहीं चलता ''- बात फिर हम दोनों के दरमियां आ गई ।
''अब जैसे हमें ही देख लो , अंडरस्टैंडिंग बढ़ ही तो रही है हर रोज़ '' - आस्था ने बिल्कुल मेरे मन की बात कह दी ।
इसके बाद बातें कितनी लंबी हुई याद नहीं ।
शिवम् सागर समीक्षित ।
9557301043
आस्था 😊
ReplyDeleteवाह जी वाह एकदम दिल में उतर गई........यक़ीनन क़ाबिले तारीफ कृति....
ReplyDeleteनवाजिश सर, समय देने के लिए शुक्रिया ।
Deleteबहुत खूब रचना उस्ताद
ReplyDeleteअरे भाई शुक्रिया
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