खालीपन
#समीक्षित 🌷
दिन को रेत की तरह हाथों से फिसलते देखना ...हर रात माधव को परेशान करता है। सबको अपनी ज़िंदगियों में व्यस्त देखकर माधव अच्छा महसूस करता है .... उसके माथे पर बल पढ़ते हैं केवल अपने खालीपन को देखकर।
वैसा खालीपन जो इंसान को खाने को दौड़ता है , वैसा खालीपन जिसे दुनिया की किसी चीज से नहीं भरा जा सकता । वह खालीपन जो बड़े से बड़े शायर के दिल में रहा होगा , जो घनानंद के दिल में रहा होगा । वह खालीपन जिसे भरने की कोशिश में सभी साज बजते हैं पर भर नहीं पाते। वह खालीपन किसे भरने की सोचता है समुद्र... गुरूर से आता है साहिल तक और फिर बेचारगी से लौट जाता है ,अपने दायरों में ।
वही खालीपन है माधव की जिंदगी में , जिसे हजारों लोग मिलकर नहीं भर सकते । अभिराज का फ़ोन आया था , बुला रहा था उसे पर कमरे से बाहर निकलना अक्सर उसके लिए उतना मुश्किल होता है जितना किसी परिंदे का पिंजरे से बाहर निकलना ।
परिंदा तो फिर भी ज़बरदस्ती रखा गया होता है पिंजरे में , पर माधव का क्या किया जाए ? इसने तो खुद ही क़ैद दिया है खुद को ।
क़फ़स से छूट कर भागे तो हमको याद आया
कोई सय्याद फिर से याद हमको कर रहा है ।
क़फ़स - पिंजरा
सय्याद - शिकारी
#माधव_और_संवेदना ।❤
Shivam Saagar
Comments
Post a Comment