एक दिन शाम को ट्रक आकर खड़ा हुआ और अम्मी अब्बू उसमें सामान भरने लगे



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कासिफ नाम के इस लड़के को क्लास के सारे बच्चे पंजाबी बुलाते हैं । मैंने कारण पूछा तो पता चला कि ये बच्चा कुछ दिन पहले ही पंजाब से दिल्ली आया है। मैंने पास बुलाया, बिठाया और बात की। बहुत आहिस्ता-आहिस्ता बोलते हुए उसने सब बताया:

" पहले ये सब नाम से ही बुलाते थे... एक दिन इन लोगों की पूछा कि मैं कहाँ से आया हूँ तो मैंने बता दिया। इन सबने कहा कि पंजाबी बोल कर दिखाओ। मैंने बोल दी। तब से ये लोग मुझे पंजाबी-पंजाबी ही कहते हैं"

Me: " तुमको बुरा लगता होगा"
He: " नहीं लगता सर!"

Me: "अच्छा पंजाब में कहाँ रहते थे...?"
He: "वहाँ पर गली नम्बर नहीं था सर..."

Me:"....मेरा मतलब शहर ?"
He: " वो नहीं पता सर...पर वहाँ पर बड़ा सा घर था"

Me: "अच्छा यहाँ पर कहाँ रहते हो?"
He: "16 नम्बर गली में"

Me: " यहाँ नये दोस्त बने?"
He: " अभी तो नहीं पर वहाँ मेरे बहुत दोस्त थे। अरमान , जीशान, अल्तमस, शिवा,गुरमीत सबके साथ मैं खूब खेलता था। वहाँ तो दोपहर में स्कूल से आ जाने के बाद पूरा दिन हम लोग खेलते थे। यहाँ पर तो खेल भी नहीं पाते। 

Me: " फिर यहाँ क्यों आ गए?"
He: " पता नहीं। वहाँ अम्मी-अब्बू में बहुत लड़ाई होती थी। एक दिन शाम को हम सब खेल रहे थे तभी गली मे एक ट्रक घुसा। हम सब उस ट्रक के पीछे-पीछे भागने लगे। वो ट्रक मेरे घर के सामने रुक गया। अम्मी-अब्बू उसमे सामान भरने लगे"
       ".....अम्मी ने कहा कि हम लोग खाला के यहाँ जा रहे हैं । मुझे लगा कि घूमने जा रहे होंगे। उन्होंने ये नहीं बताया कि अब हम सब वही(दिल्ली में) रहेंगे।"

Me: " अगर मम्मी-पापा बता भी देते तो...?"
He: " तो मैं अल्तमस को उसका मंझा वापस कर आता। मैंने उससे लिया था और अपने सारे कंचे शिवा को दे आता ..."

..... ये सुनकर मेरी आँखे नम हो गयी। मैंने मुँह फेर लिया। 

ऐसे न जाने कितने बच्चे छोटी सी में उमर में विस्थापन का दंश झेलने को अभिशप्त हैं। परिवारों की अस्थिरता, घर का माहौल निश्चित रूप बच्चों को प्रभावित करता है बल्कि कई बार बहुत ज्यादा प्रभावित करता है।ऐसे बच्चे कई बार समय से पहले मैच्योर हो जाते है और साथ ही कई तरह की कुंठाए उनके भीतर घर कर लेती हैं। हमारे फैसले अक्सर उनके कोमल मन पर शॉक की तरह लगते हैं।हमे घर के छोटे-बड़े फैसलों में बच्चों को भी शामिल करना चाहिए। जरूरी होता है ये। बतौर पैरेंट्स किसीको भले ही न लगे पर होता तो बेहद ज़रूरी है। ख़ैर। 


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