ए मेरे दोस्त!

ए मेरे दोस्त !
उस दिन जब_ बरसों के बाद मिले हम
तो हमारे पास
बेहद कम मुद्दे थे__बात करने लायक
इसीलिए बात और भी कम हुई
खामोशी थी सिर्फ
तादाद में बहुत ज्यादा ।
इधर कई बरस बीत जाने के बाद ,
जिंदगी में काफी कुछ बदल जाने के बाद ,
क्या अब भी जरूरी है कि हम ..
सिर्फ पुराने किस्सों को याद कर हंसे ,
सिर्फ उस समय के लोगों की बात करें ;
क्या हम दोनों
एक दूसरे को
अपने वर्तमान में नहीं ला सकते ;
क्या हम दोनों
कुछ ऐसा नहीं सुना सकते
जो हुआ हो अभी हाल ही में ;
ऐ मेरे दोस्त !
मिलकर पिघला दो इस खामोशी की दीवार को
मैं तुमसे बात करना चाहता हूं ।

शिवम सागर समीक्षित
9557301043

Comments

Post a Comment

Popular posts from this blog

कबीर अगर आज होते तो...

आठवी जी के लड़के