मुबारक नाज़िया दीदी
#समीक्षित
ग़ज़ालों सी फुदकती
लड़कियों की नस्ल में
अव्वल
तुम्हारा नाम ही आता
उभरकर ज़हन में मेरे ,
मै तुमको जानता हूँ
पिछले पूरे सात सालों से
अगर चाहो तो
दो महीने छब्बीस दिन
और भी लिख लो ,
भला इस बात की
कैसे खुशी ज़ाहिर करे ये दिल
कि तुमको जान पाया मैं
कि तुमको मान पाया मैं ।
हंसी तेरी बड़ी अल्हड़
बिखर जाती है
औ' कर देती है
बेआब फूलों को
सभी गुलशन ख़फ़ा तुमसे
लिए अपनी शिकायत
फिर रहे हैं __
पूछते हैं कौन सी शै है
जो रहती है तेरे रुख में
भला किसको पता?
मगर इस ख़ल्क का माली
खुदाया ! जानता है कि
वो शै पाकीज़गी ही है
वो शै संजीदगी ही है
वो शै बस साफ़गोई है।
कई मसले
मुसलसल दौड़ते हैं
बस तेरी जानिब ...
कई मुद्दों के पीछे
दौड़ना तुमको भी होता है ,
कई एक मामलों से
हद परेशां हो चुकी हो तुम ...
कभी खुद से
कभी सबसे
कभी रब से लड़ी हो तुम।
मैं छोटा हूं
अगर माफ़ी मिले
तो कुछ नसीहत दूं
कभी बेसब्र ना होना
कभी भी होश ना खोना ;
हुआ अब तक तुम्हें हासिल
बहुत कुछ इल्म के दम पर
फ़क्र करता है पूरा खानदां
तेरी तरक्की पर
तबस्सुम जो नजर आती है
लब ए वालदैन के
तुम्हारा नाम आते ही
कभी हो ग़ौर उस पर भी
नहीं मालूम
हम सब साथ
कब तक है?
कहां तक है?
मगर मैं खो भी जाऊं तो
मेरी नज़्में न खो देना ,
वो दो कौड़ी बराबर
शाइरी जो लिखते आया हूं
अगर पढ़ना कभी उनको
तो मुझको बद्दुआ देना ,
दुआएं हम कहां ...कब तक
किसी की याद रखते हैं !
दुआएं कौन जाने कब करें_
कितना असर किस पर ?
मगर इन बद्दुआओं की
सर्विसिंग तेज है काफी ।
मेरी ख़्वाहिश है कि
अंबर के बेहद दूर कोनों से
उतर आएं
हज़ारों कहकशाएं
तेरे कमरे में ,
अता करने
मुबारकबाद
इस यौमे विलादत पर...
चली आए समंदर पार
अरबी इत्र की खुश्बू
वो तेरी रूह महकाए ,,
परिंदों से गुज़ारिश है
कि वे कुछ गुनगुनाएं
हैप्पी बड्डे टू यू के जैसा।
तुम्हें मसरूफ़ियत
पहले से हासिल है
तो अब रब से
मेरी इतनी तवक़्क़ो है
जमाने में जहां भर में
मिले मकबूलियत तुमको
कदम मारूफ़ियत चूमे।
इधर सब लॉक डाउन है
नहीं तो मैं ही खुद आता
ज़माने भर की बातें कर
केक दो मर्तबा खाता।
भले तुमको तो एक ही
बार यह कहता
मगर मन में
हज़ारों बार दोहराता-
''मुबारक हो यह दिन तुमको
मुबारक जन्मदिन तुमको
मुबारक दिन विलादत का
मुबारक Naziya दीदी ''🥰🌸
Shivam Saagar
#जन्मतिथि #नाज़ियादी
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