किताबों की बात

#समीक्षित_विचार

आज एक मित्र (Devanshu Singh ) ने प्रश्न किया कि मेरी किताबें मुझसे क्या कहती है....क्या बातें करती हैं ?.....अब इस प्रश्न का कोई सहज उत्तर नहीं है मेरे पास...सो माफ करना उत्तर किंचित दीर्घात्मक होने की सम्भावना है |

मॉ_बताती_हैं कि मै ढाई बरस का था जब अक्षर मिलाकर पढ़ना सीख गया था....इस आधार पर यह माना जा सकता है कि किताबों से बतियाने का सिलसिला करीब 19 बरस से चल रहा है....अनगिनत किताबों से बातें हुई इन 19 बरसों में ,प्रमाणिक रूप से संख्या तो बताना संभव ही नहीं | हॉ अगर पिछले कुछ वर्षों की बात की जाये तो कह सकता हूँ कि पिछले छः वर्षों मे करीब 50 कविता संग्रहों और इतने ही उपन्यासों और कहानी संग्रहों के इतर विधाओं की करीब 200 किताबों से बाते हुईं | और करीब 150 पुस्तके अभी वरीयता की ऊपरी दो सीढ़ियों पर शेष भी है |
दिनकर जी कहते थे कि "लेखक जीवन भर एक ही किताब लिखता है"......दूधनाथ जी मानते है कि " विभिन्न पात्रों के सभी विचार लेखक के ही होते है...वह उसके व्यक्तित्व का ही खण्ड - खण्ड रूप है "  यदि थोड़ी सी छूट मिले तो #मै_कहूंगा_कि  पाठक भी एक ही किताब पढ़ता है ज़िंदगी भर....वही एक किताब भिन्न भिन्न रूप लेकर लुभाती है उसे जीवन भर |
मेरी लिए वो सारी किताबें एक सी है जिन्हें मैंने आज तक पढ़ा (...बल्कि ऐसा भी मानता रहा हूँ कि मेरे लिए ही वो अलग-अलग विषय व वर्णन लेकर आती है ) उन्होने मुझसे बतियाया सूरज निकलने से उसके डूबने तक.....कई बार अपने किरदारों को मेरे सामने लाकर खड़ा कर दिया तो कई बार मुझे ही अपने भीतर खींच किरदार बना लिया |  
विश्वास करना सहज नही है पर अद्दहमाण ,कबीर ,जायसी ,बाबा_तुलसी ,सूर ,रसखान ,बिहारी ,मतिराम ,घनानन्द ,बोधा ,हरिश्चंद्र ,रवीन्द्रनाथ ,शरत् ,प्रेमचंद ,प्रसाद ,निराला ,महादेवी  ,दिनकर ,बच्चन ,शुक्ल_जी ,हजारीप्रसाद ,नामवर ,मैनेजर_पाण्डेय ,सनेही ,गोपालदास, काशीनाथ , दूधनाथ, यशपाल,भगवतीचरण  मोहन_राकेश ,राजेन्द्र-मन्नू ,चित्रा_मुद्गल ,उषा  ,अलका सरावगी  मैत्रेयी,गीताश्री, माहेश्वर तिवारी, केदारनाथ_सिंह_अग्रवाल , उदय_प्रकाश कुंवर_बेचैन (आखिर कितने नाम लिखूं ) के साथ कितनी बाते हुईं मेरी रात रात भर जाग कर ,सबके साथ न जाने कितने संस्मरण जुड़े हैं मेरे | 

इनके पात्रों के साथ मै हंसा हूँ ( रोया भी ) 
राम, कृष्ण ,गोपियॉ, पद्मावती, सव्यसाची, श्रीकान्त, कस्तूरी हिरन, वर्षा वशिष्ठ ,जालपा, शीलो , परमजीत , कुल्ली भाट, भक्तिन, संजीवनी,सर्वात्मन ,झुनिया ,गोबर , सूरदास, ध्रुवस्वामिनी, मनु, मल्लिका , विलोम, #अनारो...ये सभी किरदार लगभग हर दिन मिलते है मुझसे...नियमित रूप से (कई बार रूप बदलकर)


हजारों पृष्ठों के इस विवरण को मै कितना भी श्रम करके संक्षिप्त नहीं कर सकता ....इसलिए (दुख है कि)मै चाह कर भी स्पष्टतः यह नहीं बता सकता कि मेरी किताबें मुझसे क्या कहती हैं क्योंकि इसका विवरण कोई लघु कथा नहीं 

स्वयं मे एक #उपन्यास_है_हजार_पृष्ठों_का | 😊😊

Shivam Saagar

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