विवेचना आज की ......27 सितंबर 2018

मतलब पूरा दिन निकल जाता है और आप उपलब्धि के स्तर पर लगभग 1 शब्द भी नहीं पा पाते..... ऐसा कुछ नहीं होता जो आप के क्षण को भी विलक्षण बना दे  ,,विशेष बना दे, भावना, संवेदना आदि के स्तरों पर आपको कुछ विशेष प्रदान करें,,, कुछ ऐसा जो आप की हार्दिक बौद्धिक मानसिक स्तरों पर अमिट छाप छोड़े,, कुछ भी ऐसा नहीं होता ,,कुछ भी मतलब ......कुछ भी नहीं | और आप न जाने किस धुन में किस हेतु क्या करते रहते हैं......... बिना किसी लक्ष्य के दौड़ने जैसा है यह ......हालांकि लक्ष्य सबके पास हैं किंतु फिर भी यह विमर्श का विषय बन सकता है कि वे दीर्घकालिक हैं या नहीं.......  वास्तविक लक्ष्य हैं या नहीं ......,,लेकिन इस विमर्श के लिए,, इस चिंतन के लिए एक दीर्घ अवधि - एक स्पष्ट विचार धारणा की नितांत आवश्यकता है और सबसे बड़ी समस्या यही है कि...... हमारी विचारणा शक्ति क्षीण होती जा रही है.... निरंतर.... निरंतर.... प्रतिदिन ....प्रतिक्षण .... प्रतिपल हम एक बौद्धिक शून्य में उतरते जा रहे हैं .....
बंधे- बधाये ढर्रे में जीने के आदी हो चुके हम...... नवीनता को स्वीकार करने में मानो हिचकते हैं..... मानो डर जाते हैं. ..|  नवीनता का स्वागत करना हमारा स्वभाव रह ही नहीं गया है........... किंतु उत्थान के लिए , विकास के लिए , वर्धन के लिए  ...  हमें नवीन धाराओं को खोलना होगा ...., नवीनता के चक्षुओं को को खोलना होगा ,, वे धाराएं - ...जिनसे नवोन्मेष प्रवेश कर सके हमारे अंतर स्थल में,,  वे चक्षु __जिनसे ज्ञान सीधे हमारे मस्तिष्क में प्रवेश करें ...... |

अब हमें भी निराला बन प्रार्थना करनी होगी मां वाणी से........ कि
नव गति नव लय ताल छंद नव
नवल कंठ नव जलद मंद्र रव
नव नभ के नव विहग वृंद को नव पर नव स्वर दे
वर दे वीणावादिनी वर दे ।।

#शिवम्_सागर_समीक्षित

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