घनाक्षरी (नज़र मे मेरे )

नज़र में मेरे कुछ ख्वाब उगते हैं रोज
उनको छुपाता कभी तुमसे कहा नहीं ।
मेरे अरमान मुझे इतना बहाते पर ,
खुद को हूं ,थामे तेरे सामने बहा नहीं ।
पर आज कहता हूं भाव मैं बहा के कई
मेरी जिंदगी में अब तुम हो कहां नहीं ?
सुबह हो तुम मेरी शाम तुम दिन रात ,
तेरे बिन चैन एक पल को रहा नहीं  ।

शिवम सागर

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