होली ....☺😊
#समीक्षित
होली ना खेलने की कई वजहों में से एक वजह यह भी है कि मुझे होली खेलना नहीं आता........ हालांकि अभी तक बाजार में ''होली खेलने के 101 तरीके'' जैसी कोई किताब मुझे नहीं दिखी है और ना ही सुप्रीम कोर्ट ने ही इस महत्वपूर्ण विषय पर कोई दिशानिर्देश जारी किए हैं...पर फिर भी मुझे लगता है की होरियारों में कोई अलग बात जरूर होती है..... यूं ही किसी को पकड़कर लाल - हरा कर देना... सबके बस की बात तो नहीं हो सकती ना..|
बहरहाल... आज होली है__ होली_ रंगो का त्यौहार ... । पर होली सिर्फ रंगो का त्यौहार नहीं है और सिर्फ होली ही रंगो का त्यौहार नहीं है । रंग शामिल है भारतीय परंपरा की रग-रग में । दीवाली के पटाखों के खूबसूरत रंगों से सजा आसमान ....., रक्षाबंधन पर चमचमाते धागे में पिरोए गए सुंदर मोतियों के अनमोल रंगो सी सजी भाई की कलाई ...,लाल जोड़े में सजी...चौथ का चांद निहारती प्यारी सी दुल्हन; सब कुछ हर एक दृश्य बेहद रंगीन। लाल रंग को तो इश्क का रंग माना ही जाता है..... सारा साल ये लाल रंग इश्क की सुर्खी को समेटता रहता है अपने भीतर।
........ फिर एक दिन पलटती है बाजी और सफेद रंग हो उठता है बेहद इश्किया ......और उसकी सफेदी रंगो से विरक्त रहने वाली सफेदी नही होती ....बल्कि वो रंगो मे आसक्त रहने वाली होती है । वो सफेद रंग जो हर रंग को खुद मे समेट कर खुद को रंगीन कर लेना चाहता है ...ये सफेद जो सभी रंगो से मोह करता है ..इतना मोह की अपने जन्म जन्मान्तर तक अपने रेशे - रेशे मे संजोये रखता है एक अनमोल एहसास की तरह ।
वैसे . . . . . यकीन मानिए .....अगर आप इश्क मे हैं तो रंग हर पल आप ही के इंतजार मे है आपकी खिदमत करने के लिए । 😊❤
शिवम सागर ।
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