Posts

Showing posts from 2019

लघु कविताएं ।

Image
1) बेखयाली को ख़यालों से दबाकर समेट रहा हूं बेचैनियों को___ बेहद चैन से मैं , अभी तुम्हारी कोई मदद नहीं कर पाऊंगा। 2) ज़ुबान से कितनी ही ज़ुबानें बोल लो तुम ; एक ही जुबान है आंखों की और वह आती है मुझे , शायद तुम से भी बेहतर । 3) ना ना .... अभी इधर मत आना सोई है रौशनी अंधेरों की रिदा ओढ़कर सुबह होने तक का इंतजार करो अगर अकेले हो ....तो मेरे पास बैठो __कुछ बात करो । 4) अक्सर__ तुम्हारे बारे में सोचते हुए सर दर्द हो जाता है ,,, मेरे दिल को कोई इलाज है क्या तुम्हारे पास ? -शिवम सागर 9557301043

ग़ज़ल

Image
पूछा मैंने  कई इक  दफ़ा , उसने पर कुछ कहा ही नहीं अब तो लगता है कि दरमियां अपने कुछ भी रहा ही नहीं ज़िंदगी ले गई ज़िंदगी ,मुझ में कुछ भी बचा ही नहीं हम दवा ले रहे हैं मगर , मर्ज़   का कुछ पता ही नहीं वैसे भी कह रहे थे सभी ख़ास इतनी ख़ता ही नहीं पर तेरे रहम का शुक्रिया , तूने दी कुछ सज़ा ही नहीं कहने को तो हैं कहते सभी , कहने में सच मनाही नहीं फिर वही लोग सच की कभी खुद  ही देते गवाही नहीं करके देखी बचत उम्र भर हाल हो पाया शाही नहीं कतरे ही जोड़ता रह गया.., पर मैं सागर बना ही नहीं #शिवम_सागर

अन्वेशा 🌷

Image
#समीक्षित   माधव के सिवा यहां सब का मानना था कि सहेलियों को आगे जाने देकर अन्वेशा का अकेले पीछे-पीछे आना इसीलिए है कि माधव उससे बात करें उसके साथ चलें ... पर अब माधव  इस रिश्ते को और उलझाने के चक्कर में नहीं है  । यह रिश्ता , इसको चाहे जो भी नाम दिया गया हो,  वास्तव में कोई अस्तित्व नहीं रखता । रिश्ते में दोनों का होना जरूरी है और अन्वेशा रिश्ते को जिस जगह ले जा  रही थी वहां तक कम से कम माधव  की पहुंच नही थी । माधव बारहां  कोशिश करके भी वहां नहीं पहुंच सकता था ।  माधव को ज़िंदगी जीने के लिये देखना पड़ता है पीछे की तरफ। अन्वेशा को लगता है कि ये हार्ट वाला इमोजी माधव सिर्फ उसे सेंड करता है .... ये फूलों की तस्वीरें सिर्फ उसे भेजने के लिए खींचता है ।  और रोमांटिक स्टेटस सिर्फ इसलिए लगाता है ताकि अन्वेशा देख सके ।  काश ! कोई अन्वेशा को बता पाता कि वह पूरी तरह से गलत है ... सौ प्रतिशत नहीं , हजार प्रतिशत ।  सभी को भेजता है माधव मुस्कुराते फूलों की तस्वीरें 🌷🌷 । सभी को भेजता है दिल छू जाने वाले नग़मे 🎶🎶। ...

माधव की डायरी 2

Image
माधव ने आज फिर एक पुरानी डायरी उठा ली । उस पन्ने पर ठीक से लिखा दिख रहा था सब कुछ लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि वहां उस दिन सब ऐसा ही था । माधव को अच्छे से याद है कि उस शाम भी ठीक सा दिख रहा था सब, अच्छे से बातें करते - करते उसने नाश्ता किया था पूर्वा के घर पर ; तारीफ की थी पकोड़ों की । सूरज ढलने के बाद मौसम में सर्दपन महसूस होने लगा था । वहां से लौटते वक्त उसने लंबा रास्ता अख्तियार किया था और सोचा था कि अच्छा होता अगर वह हाफ स्वेटर पहन के निकला होता । दुर्गा पूजा पार्क के आगे वाली गली में उसे विनायक मिला था । कुछ देर बात हुई थी उससे भी , उसी ने बताया था कि पुनीत दोस्तों के साथ 'अपने नए दोस्तों के साथ' हिमाचल घूमने गया है  । हम लोगों से पूछना तो दूर , बताया तक नहीं । घर आते-आते माधव को देर हो गई थी । माधव के लिए घर में देर से पहुंचने का मतलब था पापा के घर  आने चुकने के बाद घर पहुंचना; और पापा किस दिन , किस वक़्त लौटेंगे... यह पूरी तरह पापा को भी कंफर्म नहीं होता था । पर पापा ने भी उस दिन कुछ नहीं कहा । मम्मी ने भी छोले बनाए थे उस दिन...... कितना अच्छा था वह दिन !...

माधव की डायरी

ब्लैक होल... आखिरकार दुनिया ने वह चीज भी देखनी जिस से टकराकर रोशनी तक नहीं लौटती ! अन्तरराष्ट्रीय वैज्ञानिक इसे दुनिया को समझने की एक महत्वपूर्ण कड़ी बता रहे हैं । भगवा घेरे ...

रम्या

Image
                                    (1) मैं उसकी आंखों के भीतर देखने की कोशिश कर रहा था । मेरी कोशिश थी कि उसकी आंखों में झांक कर उस लड़की को देखूं जिसने 5 बरस पहले इजहार- ए- इश्क किया था मुझसे । रम्या जब एम ए में एडमिशन लेकर कॉलेज में दाखिल हुई थी तब वह काफी अच्छी कविताएं लिखने लगी थी । हिंदी पढ़ने वाली अब तक कितनी लड़कियों से मैं मिला था , रम्या उन सब से अलग थी । उसे हिंदी इसलिए नहीं पढ़नी थी क्योंकि हिंदी पढ़ी जा सकती थी बल्कि उसे हिंदी इसलिए पढ़नी थी क्योंकि वो हिंदी ही पढ़ना चाहती थी । मुझे नहीं पता चला कि हिंदी पढ़ते-पढ़ते वह कब पढ़ने लगी मेरी कविताएं।  मेरे कई गीत उसकी खामोशियों की आवाज बने ऐसा बताया था उसने जब इजहार किया था अपने इश्क का । वह समझती थी मुझको बेहद रोमांटिक बिल्कुल मेरी कविताओं की तरह । उसे नहीं पता था कि ये कविताएं विरोधाभास हैं मेरे जीवन का ; जो सुख सौंदर्य लालसा उत्कंठा पूरी क...

नज़्म ❤🌷🌷

Image
मुझे  फ़िर  से नया कोई  बहाना  सोचना  होगा .. मेरी अम्मी के हाथों में कुछ एक फोटो नए फिर हैं । उन्हें कैसे  बताऊं ? एक  लड़की है  निराली सी के तस्वीरें हजारों  जिसकी मेरे  फोन  में ही  है । मुझे नफरत है खाला से ;जो हर इतवार की सुब्ह चली आती है घर मेरे ,लिए बच्चों को संग अपने उन्हीं  के पर्स  में  रखी  हुई  होती  है  तस्वीरें ; जो दोपहर तक पहुंचती है मेरी अम्मी के हाथों में। लिये   तस्वीर  हाथों  में बड़ी  बेचैन  होती  हैं अरी शबनम!बता क्या नाम है इसका?कहां की है ? लबों पर खेलती इसके तबस्सुम .. भा गई मुझको अलग रख ले ये फोटो शाम को उसको दिखाऊंगी । अरे तौबा ! ये वाली लाख बेहतर पहले वाली से अदब नज़रों में ही इसकी नज़र आती है न शबनम औ' ये रुखसार की सुर्खी तो जैसे सेब कश्मीरी । हर एक तस्वीर पहले से कुछ  बेहतर ही होती है हर एक तस्वीर के संग मुश्किलें बढ़ती हैं अम्मी की । मैं हैरत में पड़ा  यह सोचने लगता हूं कि अक्सर ये अम्मी ही तो कहती है...

न मिलो तो बेहतर है ।

Image
''तुम अभी भी कॉलेज आते हो ?'' यकीन मानिए ये #तारीफ_नहीं_थी , ताना था । मैं हॉ करके मुस्कुरा दिया। मुझे मुस्कुराने के लिए होंठो पर काफी ज़ोर देना पड़ा । वो अपनी सहेलियों के साथ मुस्कुराते हुए मुड़ गयी और मैं सोचता रह गया कि आखिर हर बार हर बात इतनी बेतकल्लुफ़ी से कैसे बोल लेती है वो !.......दास्तां के हर हर्फ़ से वाक़िफ़ होने के बावज़ूद । मैंने पलट कर उसकी तरफ  देखा ...वो आगे बढ़ गई थी और मैं पीछे रह गया था  .... काफ़ी पीछे । मैं सोच रहा था कि उसे कुछ और पूछना चाहिए था। मसलन - मेरी जिंदगी में क्या चल रहा है ऐसा कुछ, मेरे एग्जाम्स के बारे में , आगे के प्लांस के बारे में,  उसे पूछना चाहिए था कि मैं कितने बजे तक सो जाता हूं आजकल ...और यह भी कि कविताएं लिखना कम तो नहीं किया ना ?  पर उसने कुछ नहीं पूछा । ठीक वैसे ही जैसे मैंने कुछ नहीं पूछा । कई बार कुछ ना पूछना ही सबसे बड़ा सवाल बन जाता है । और इसी तरह के कई सारे बड़े सवाल मिलकर दुश्वार कर देते हैं हमारी जिंदगी .... हम उलझ जाते हैं सवालों के बनते बिगड़ते जवाबों में  । मेरे पास भी सैकड़ों सवाल थे जिनके जवाब ...

निखिल।

Image
#समीक्षित '' गिटार के तार बजते भले ही बाहर हों ... पर छेड़ा उन्हें अंदर जाता है .., दिल के अंदर ।''- माधव निखिल को कुछ समझाने की कोशिश कर रहा था । निखिल को घंटा कुछ समझ आ रहा था । आस-पास के दो-चार मुहल्लों में अगर कोई लड़का इन दिनों सच्चे इश्क में था , तो वह निखिल था । इश्क के शहर में अभी हाल ही में दाखिल हुए निखिल को  इश्क हर मर्ज की दवा लगता , हर मुश्किल का हल लगता । इन दिनों हर बात , हर मसले - मुश्किल को सुलझाने की कुब्बत रखने वाला निखिल ''मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकती'' वाले पड़ाव पर जी रहा था ''घर वाले नहीं मानेंगे'' वाली सच्चाई से बिल्कुल बेखबर  । वो बड़े खूबसूरत सपने सजाता और उन्हे अपने दोस्तों के साथ में साझा करता । माधव को इश्क में नाकाम होते देख सोचता कि उसके और कामिनी के बीच आने वाली मुश्किलों को वह कितने अच्छे से हैंडल कर लेता है । वो माधव को भी एक सांस में कई सजेशन दे डालता है , माधव सुनता है उसे .... बड़ी खामोशी के साथ ।  आखिर बस मुस्कुरा देता है । करने को माधव आगाह कर सकता है निखिल को पर निखिल ने अभी-अभ...

रास्ते ।

Image
कार अपनी स्पीड से चले जा रही है  । कालपी से हमीरपुर को जाता यह हाईवे लगभग खाली है  । म्यूजिक प्लेयर गाने बजाए जा रहा है  ;  ''तेरा चेहरा '' खत्म होकर ''तेरा घाटा '' बजने लगा  । मैंने बदलने के लिए हाथ बढ़ाया पर माधव ने रोक दिया। मैंने माधव की तरफ देखा , वह बाहर की तरफ देख रहा था । बाहर अंधेरे में वह न जाने क्या देखने की कोशिश कर रहा है ; कई किलोमीटर दूर किसी गांव की टिमटिमाती लाइट्स दूर से काफी अच्छी लग रही है  । '' थोड़ी देर रोक लूं क्या ? ''-  मैंने पूछा '' नहीं चलने दो '' - उसने वैसे ही बैठे-बैठे कहा । तभी फोन वाइब्रेट हुआ , शायद आस्था फोन कर रही होगी ; ये  पूछने के लिए कि मैं अभी पहुंचा या नहीं ।  अब लगभग 15 - 20 मिनट और लगेंगे । वहां पहुंचकर ही देखूंगा । माधव ने खिड़की का शीशा खोल लिया । हवा की ठंडक महसूस होने लगी तुरंत ही ।  कुछ कहना चाह कर भी मैं चुप रहा ; अब कुछ मिनट में थम जाएगा यह सफर भी ....ना चाहने के बाद भी । ना जाने यह सड़क कितनी दूर तक जाती है । शिवम् सागर समीक्षित । +91955730...

मौजूदगी ।

Image
मौजूदगी इस बिस्तर पर बैठकर आज कुछ भी लिख पाना मुमकिन नहीं है.... इसकी एक-एक सिलवट मुझे बीते हुए कल में खींचकर ले जा रही है । हालांकि एक झटके में मिटाई जा सकती है इस पर नजर आ रही सारी सिलवटें .....पर मन , मन मारकर कर बैठा है एकदम चुपचाप। तकिया अभी भी दीवार से लग कर ही रखा हुआ है  , किसी भी तरह के बदलाव की जरूरत से एकदम बेखबर । कमरे में मौजूद है एक खुशबू अब तक ; मेरा दिमाग रोक रहा है मुझे सांसे लेने से , इल्जाम लगा रहा है मुझ पर कि मेरी वजह से मिट रही है कमरे से खसखस और गुलाब के मिले-जुले एहसास वाली खुशबू । मेरा बस चलता तो यूनेस्को द्वारा संरक्षित करवा देता यह कमरा.... यह घर... यह गली... सब । पर मेरे बस में नहीं है इतना भी कि एक बोर्ड रख दूं यहां जिस पर लिखा हो - ''प्रवेश वर्जित । कार्य प्रगति पर है । '' कविताओं के अनबूझे अर्थ आज समझ आ रहे हैं... खुल रहे हैं खुद-ब-खुद ; कमरे का टेंपरेचर भी बाहर  से कई गुना कम है ; गिटार बजा रहा है मदमस्त धुनें अपने आप ही । कल शाम को वो यहींं थी इसी कमरे में   शिवम् सागर समीक्षित ♥ 9557301043

वो मेरी सिर्फ दोस्त है ।

Image
दोपहर में उसका फोन आया , मैं उठा नहीं पाया; कुछ देर बाद उसका मैसेज आया, पर मैंने रिप्लाई नहीं किया । शाम को जब उसे बताया कि मैं माधव के साथ था और उसने सवाल कर दिया कि ''कौन माधव ? '' तब लगा इन दिनों की अपने सब से खास साथी से तो मैंने उसे मिलवाया नहीं  । मैंने बताना शुरू किया- '' माधव मेरा दोस्त इधर 4 - 5 महीनों से जानता हूं उसे , अच्छा नेक दिल लड़का है बस संवेदना के छोड़के चले जाने के बाद से परेशान हो गया है , उसका भरोसा टूट गया है जैसे । अब शायद वह किसी ऐसे को ढूंढ रहा है जो उसके पास आकर , नजदीक बैठकर , उसके साथ अपनी शाम को  बिना शर्त के बिताते हुए कहे कि उसे भरोसा है माधव पर । '' चलिए सुविधा के लिए बता दूं कि मैं जिस से बात कर रहा हूं उसका नाम आस्था है और इसे पिछले 1 साल 7 महीने से जानता हूं  । मैंने आस्था से पूछ दिया कि क्या माधव को हक नहीं है एक बार संवेदना से चिल्लाकर पूछे कि आखिर उसने ऐसा क्यों किया ? '' मैं होती तो मार-मार के पूछती कि क्यों किया  ऐसा ... लेकिन वो माधव है उसकी मर्जी ....  हक की बातें थोड़े समय तक ही  रहती है ।'...

वो चली गई !

Image
वो चली गई ! एक कवि द्वारा ''जाना हिंदी की सबसे खतरनाक क्रिया'' घोषित कर देने के बावजूद वो चली गई । उसने शायद कभी भी उस कवि को नहीं पढ़ा  , उसने शायद कभी साहित्य ही नहीं पढ़ा ; उसने नहीं पढ़ी थी वो कविताएं भी.. जो बराबर लिखी जाती रही थी उसके लिए , उसी को शब्दों में समेट कर  । उन सभी कविताओं को यहीं मेरे पास छोड़कर कर ......अंततः वो चली गई । मैं सोचता हूं कि अब कविताएं नहीं लिखूंगा कुछेक दिन और इस दौरान इकट्ठा कर लूंगा उसकी तस्वीरें और फिर मैं उसकी मुस्कुराती हुई तस्वीरों का एक कोलाज बनाऊंगा.... बहुत बड़ा सा... जिसके नीचे लिख लूंगा वही लाइन जो एक बार रोमांचित कर देने के बाद हर बार सामान्य सी लगी थी उनको - ''कहो प्रेयसी कैसी हो ? '' हालांकि तस्वीरें उत्तर नहीं देंगी पर तसल्ली तो देगी ही , कम से कम सुन तो सकेंगी ही मेरे गीतों - ग़ज़ल दीवारों की मदद लेकर । उसे ना जाने कब यह भ्रम हुआ कि उसका चले जाना है मेरे जीवन के एक खंड का अंत... इसीलिए खुद को खंडकाव्य  की नायिका मान इसे संपन्न करने की मंशा मन में लिए हुए आखिरकार वो चली गई ।  क्योंकि वह जा चुक...

परिवर्तन ☺

Image
परिवर्तन निश्चित है । परिवर्तन निरंतर है । परिवर्तन सतत है । एक तरह से परिवर्तन देवता है । सर्वविदित है कि परिवर्तन आता है पर किस दरवाजे से किन चौखटों को लांघ कर..... यह पता नहीं , दरवाजे से आता भी है या कि कूद आता है छज्जों और खिड़कियों से ....ज्ञात नहीं किसी को भी । अतः कह सकते हैं कि परिवर्तन निराकार है । परिवर्तन विश्लेषण है । परिवर्तन निरूपण है ...नवीनता का । परिवर्तन शत्रु है... पुरातनता का । परिवर्तन संहार करता है । परिवर्तन सर्जन के अवसर देता है । इस मायने में परिवर्तन शिव है । परिवर्तन शिव है ... और जहां शिव है शक्ति भी वही है ; क्योंकि परिवर्तन जैसा कल्याणकारी कार्य बिना सबलता के संभव नहीं । अगर कोई पूछे कि ''क्या सारे परिवर्तन सही है ?'' तो मैं कहूंगा कि जब परिवर्तन होने को परिवर्तित नहीं किया जा सकता तो उसे गलत क्यों माना जाए ; हां कुछ परिवर्तन निराशाजनक होते हैं निश्चित रूप से.. परंतु इसमें भी (जहां तक मेरा मानना है) कारण यह है कि मनुष्य का मस्तिष्क स्थायित्व अधिक पसंद करता है । वह सालों साल... असीमित काल तक जो जहां जैसा है उसे वहां वैसा ही ...

एक गुस्ताख़ ग़ज़ल ।

Image
एक गुस्ताख़ ग़ज़ल । बार - बार जो  करे दिल्लगी, उससे जिगर लगाना  मत । नदी की धार बहायेगी  पर तुम थमना  बह जाना  मत । मन की  मर्ज़ी  चलने  देना  उसको  कभी  दबाना  मत । पर खुद पर भी हो साबित खुद ही उससे दब जाना मत । यही  तो  मेरे  सातो  दिन - बारहो  महीनों  का  साथी मेरे तन्हापन  को  भूले से भी  कुछ कह  जाना  मत । दौड़  रहा  है  संग  मे पर वो  रक़ीब  हमसफ़र  नहीं उससे बचकर रहना , मंज़िल का रस्ता बतलाना मत । शिवम् सागर ।।

मुझको अपना प्यार बना लो

Image
मुझको अपना प्यार बना लो । खूब  संवरने  सजने  वाली नित नित रूप बदलने वाली सरगम सुनकर जगने वाली पारिजात सी खिलने  वाली                    मेरे अंगने में आकर के                    तुम कोई त्यौहार मना लो । मुझको अपना प्यार बना लो । सूरज होकर  छिपने वाली बनकर चांद चमकने वाली नॉवल लेकर चलने  वाली पन्ने महज  पलटने  वाली                     खुद को थोड़ा खर्च करो और                     तुम मुझ पर अधिकार कमा लो । मुझको अपना प्यार बना लो । शिवम् सागर ।

कुछ गीत सा

Image
जागता हूं रात आधी हो गई है नींद गुम है, सो गई है भले दुनिया एक लड़की जागती है, उतरना है मुझे उसके यादों वाले मुहल्ले में इसी से तो नींद से मैं दूर शब भर भागता हूं । फूल पीले चांदनी मे रंग अपना खो रहे हैं, सो रहे हैं सभी भंवरे कहॉ पर ये कौन जाने तुम मगर सारे सलीके जानती हो इसी से_ ऐ शबनमी लड़की तुझे मैं चाहता हूँ  ।           - शिवम् सागर । ❤

होली ....☺😊

#समीक्षित होली ना खेलने की कई वजहों में से एक वजह यह भी है कि मुझे होली खेलना नहीं आता........ हालांकि अभी तक बाजार में ''होली खेलने के 101 तरीके'' जैसी कोई किताब मुझे नहीं दिखी है और ना ही ...

मै वहाँ होना चाहता था ।

यह जो हाथों हमारे होता है यह जरूरी नहीं करें हम ही ।😑😑 मैं वहां होना 'चाहता' था और केवल 'चाहने' भर से ही कहीं 'होना' अगर संभव हो पाता तो . . . मैं वहां 'होता' भी पर 'चाहने' और 'होने' के बीच एक ...

सागर से समीक्षित तक ।

Image
वास्तव में , एक 'नाम' से मेरा मन कभी संतुष्ट नहीं हो सका, अपने लिए दर्जनभर नामों को प्रयुक्त करता रहा हूं मैं.... प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से,  कईयों को सार्वजनिक तौर पर... तो कईयों को बेहद निजी तौर पर ।  थोड़ा गौर करके देखता हूं तो इसमें एक मोहात्मक स्थिति भी स्पष्ट होती दिखती है __अनायास  (या सायास भी ) कोई एक संज्ञात्मक शब्द मुझे इस कदर लुभा जाता है कि वह मेरी दैनिक बातचीत में अपने दोहराव को दिनोंदिन बढ़ा लेता है और इसी प्रक्रिया के दौरान ही उस शब्द के गूढ़ अर्थ भी सामने आते ही रहते हैं,,,, परोक्ष अपरोक्ष रूप से_ और एक सीमा के बाद मुझे यह प्रतीत होने लगता है कि यह शब्द मेरे व्यक्तित्व का मानो सच्चा परिचायक है __ इसी शब्द को नाम होना चाहिए था मेरा । कुछ ऐसा ही 'सागर' के साथ है ___'सागर' से लेकर 'समीक्षित' तक के सफर में मैं 'प्रेम' , 'श्रेयांश' ,  'क्षितिज' ,  'फ़राज़' ,  'फ़लक' , 'निशीथ'... जैसे कई पड़ाव से गुजरा और आगे भी निश्चित ही गुजरूंगा। मुझे लगता है कि नाम प्रत्येक पल, प्रत्येक क्षण के हिस...

घनाक्षरी (नज़र मे मेरे )

Image
नज़र में मेरे कुछ ख्वाब उगते हैं रोज उनको छुपाता कभी तुमसे कहा नहीं । मेरे अरमान मुझे इतना बहाते पर , खुद को हूं ,थामे तेरे सामने बहा नहीं । पर आज कहता हूं भाव मैं बहा के कई मेरी जिंदगी में अब तुम हो कहां नहीं ? सुबह हो तुम मेरी शाम तुम दिन रात , तेरे बिन चैन एक पल को रहा नहीं  । शिवम सागर

कानपुर तुम गुनाहगार रहोगे मेरे हमेशा !

Image
गुजर रहा हूं .....कानपुर के ऊपर से , और कानपुर गुजर रहा है मेरे ऊपर से.....,दोनो रौंद रहे हैं एक दूसरे के सीने को । मै अफसोस भरी निगाहों से देख रहा हूं .......शहर को ,इस शहर को जो अभी भी जी रहा है तुम्हारे बगैर जबकि इसे थम जाना चाहिए था , इसे रुक जाना चाहिए था , इसको इतने हुकूक किसने दिये जो ये जी रहा है लगातार हर घंटे हर दिन, बढ़ रहा है बन रहा है भर रहा है नये नये लोगो से हर गुजरते पल के साथ । .......तो क्या ये शहर तुम्हे भूल गया , एक कवि की उद्घोषणा के बाद भी कि "रिशतों मे नया कभी/पुराने का विकल्प नही हो सकता " , इस शहर ने तुम्हे भुला दिया, यहॉ तक कि तुम्हारे वाकये को ज़हन से मिटा दिया । जैसे तुम यहॉ थी ही नहीं , जैसे तुम इसकी थी ही नहीं , जैसे कि तुमने यहॉ ज़िंदगी जी ही न हो , जैसे कि इस शहर से कोई राब्ता न रहा हो कभी भी.....। देखो इस शहर के लिए तुम छोड़ आई थी सब और इसने तुम्हे  ही भुलाकर तुम्हे बेहतरीन सिला दिया है । तुम भले ही अपना समझती हो अभी भी इसे पर यकीं करो इसने भुला दिया सबकुछ ....  तुम्हारा अक्स ,तुम्हारा नाम,  तुम्हारा गीत, तुम्हारे दिलकश नग्में .....

एक प्रेमगीत

याद तुम्हारी जब-जब आई तब-तब मैंने गीत लिखा । तेरी  यादें  छुपाके  मैंने  , रखी  है  इन गीतों  में , बहुत सी बातें,फरियादें हैं  बचा के  रखी गीतों में , तुम्हें सोच कर जब-जब मैंने ...

मुक्तक

अधर की  सांकलें  मन के  करों से  खोल देती  तुम स्वरों के मधु को इस  मादक पवन में घोल देती तुम , कि मैं उलझा था उलझन में सो तुमको देख ना पाया जो  देखा था मुझे तुमने__तो कुछ तो बोल दे...